Home धर्म - ज्योतिष विश्वास विराटता का प्रतीक- आचार्य विशुद्ध सागर

विश्वास विराटता का प्रतीक- आचार्य विशुद्ध सागर

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ब्रहमचारी भाइयो की दीक्षा पूर्व हुई गोद भराई

बड़ौत – आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महराज ने ऋषभ सभागार मे दिगंबर जैन समाज समिति द्वारा आयोजित धर्मसभा मे मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि जिसका जन्म होता है ,उसका मरण भी निश्चित है। जो मरण के पूर्व परिणामों को संभाल लेता है, भावो को सुधार लेता है, अच्छे कार्यों  में समय व्यतीत करता है, जीवो पर दया करना करता है, प्रभु का स्मरण करता है, साधुओं की सेवा करता है ,सदाचार पूर्वक जीवन जीता है, उसका भविष्य निर्मल हो जाता है । जैसे बीज बोओगे वैसे फल लगेंगे। करनी का फल स्वयं को ही भोगना पड़ता है ।सज्जन मनुष्य किसी के साथ विश्वास घात नहीं करते हैं। ज्येष्ठ पुरुष जिस पर विश्वास करते हैं उसे महत्वपूर्ण कार्य सोपते हैं। विश्वास करो, पर सोचो, समझो, संभलो। चिंतन बहुत जरूरी है। विशालता को प्राप्त करना है तो विश्वास के पात्र बनो। सफलता को प्राप्त करना है तो आस्था विश्वास के साथ वास करो ।विश्वासघाती का कभी भला नहीं होता है । 

     सागर बनना है तो समता शमताओ को वर्धमान करो। संतोषी बनो, धैर्य धारण करो ।शांत परिणाम, सहनशीलता, मानव को महामानव बना देता है। विशालता के लिए हृदय की विशालता चाहिए। चिंतन की समिचीनता एवं विशालता ,व्यक्ति को विशालता प्रदान करता है। हम स्वयं के लिए जैसी सुविधा चाहते हैं ,वैसी ही दूसरों के प्रति भी सोच रखो। दूसरों के प्रति भी सहयोग की भावना रखो । नाम काम में नहीं आता है। काम ही पूजा है ,पूजा दिलाता है। राम में भी र है तथा रावण में भी र है। राम विश्व में पूजे जाते हैं तथा रावण का पुतला जलाया जाता है। बुराइयों को छोड़ो, अच्छाइयों को ग्रहण करो। कलुषित भाव का दहन करो।सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन ने किया । मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि आज प्रवचन के बाद 8 दीक्षार्थी भाइयो की गोद भराई हुई। जैन श्रधालुओ ने मंगल गीत गए।शीघ्र ही एक भव्य समारोह मे दीक्षार्थी भाईयो की मुनि दीक्षा संपन्न होगी और वे मुनि बनकर मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होंगे । 14 से 16 अगस्त तक आचार्य श्री के मंगल प्रवचन अजितनाथ सभागार, मंडी मे होंगे । सभा मे प्रवीण जैन, सुनील जैन, संदीप जैन, अतुल जैन,विनोद जैन, वरदान जैन, राकेश सभासद,अशोक जैन, मनोज जैन, पुनीत जैन, दिनेश जैन,धनेंद्र जैन, अशोक जैन, सुदेश जैन, रमेश जैन आदि उपस्थित थे।