सागर – आज तुमने मुझे ठगा है कल तुम्हें तुम से बड़ा कोई ठगेगा, कर्मों के साथ कोई भी कभी छल नहीं कर सकता है वर्तमान में आप छल कर सकते हैं लेकिन कर्म कभी छल नहीं करते हैं कर्मों पर भरोसा करने वाले दूसरों के साथ कभी छल नहीं करते हैं यह बात मुनि श्री अजितसागर महाराज ने मूकमाटी की स्वाध्याय कक्षा में श्रावको से कहीं । मुनि श्री ने कहा कि कर्म कभी छल नहीं करते हैं लेकिन तुम छल कर सकते हो कर्म की अदालत में झूठ और छूट नहीं चलती, रिश्वत नहीं चलती ना ही वकीलों के द्वारा जिरह की जा सकती है कर्मों के भोक्ता तो आप ही रहेंगे दुनिया की अदालत झूठी हो सकती है पर कर्मों की अदालत मैं झूठ नहीं चलता है जो दूसरों को बुरा करने का नहीं सोचता है उसका बुरा नहीं होता है जो दूसरों का बुरा सोचता है उसका कभी अच्छा नहीं हो सकता है। आज अन्याय अनीति से जो पैसा कमा रहे हैं उनका पुराना पुण्य सत्ता में है लेकिन आज की परिस्थिति में जो आप कर रहे हैं उसे निश्चित रूप से आने वाले समय में उन्हें भोगना पड़ेगा आज पापियों का पैसा बढ़ रहा है लेकिन जब पाप का घड़ा फूटता है तो पता नहीं चलता मुनि श्री ने कहा जहां धर्म है वहां दया होना निश्चित है वह व्यक्ति धर्म की शरण में हमेशा रहता है जो दया से युक्त रहता है आपका जीवन संयम से युक्त और संस्कारित होना चाहिए । मुनि श्री ने कहा जिन पर हम विश्वास करते हैं वही हमारे साथ विश्वासघात करते आचार्य गुरुदेव कहते हैं कि आज विज्ञापन का जमाना है बाहर कुछ है और भीतर कुछ है इसे ही कहते हैं मुंह में राम बगल में छुरी, जिस प्रकार तालाब में बगुला ऊपर से बिल्कुल सफेद दिखाई देता है लेकिन अंदर से बहुत चालाक होता है जैसे ही मछली उसे दिखती है और वह उसका शिकार कर लेता है बुढ़ापे में आदमी का शरीर शिथिल हो जाता है परंतु मन और इच्छायें समाप्त नहीं होती हैं ।