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गौतम लब्धि फाउंडेशन में संचेती राष्ट्रीय अध्यक्ष कमल को मिली छत्तीसगढ़ प्रमुख की जिम्मेदारी

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राजेंद्र मुनोत

अनिल नाहर

सुनील नाहर

ललित पटवा 

सुनील संचेती

कमल पटवा

गौतम निधि विकास फाउंडेशन में नाहर राष्ट्रीय अध्यक्ष, रायपुर के उद्योगपति ललित पटवा बने ट्रस्टी

रायपुर – गौतम निधि फाउंडेशन‌ का राष्ट्रीय अधिवेशन बीते दिनों टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में संपन्न हुआ। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि जी महाराज साहब की पावन‌ निश्रा में हुए इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान और महाराष्ट्र से भी तकरीबन 200 से ज्यादा प्रतिनिधि जुटे थे। इस दौरान गौतम लब्धि फाउंडेशन और गौतम विकास फाउंडेशन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया गया । इनमें ज्यादातर राजस्थान और महाराष्ट्र के सदस्य हैं। रायपुर के लिए गर्व का विषय यह है कि गौतम लब्धि फाउंडेशन में छत्तीसगढ़ श्रमण संघ के अध्यक्ष कमल पटवा को राष्ट्रीय मार्गदर्शक चुना गया है । उन्हें छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। वहीं गौतम विकास फाउंडेशन में ललित पटवा ट्रस्टी चुने गए हैं । बता दें कि गौतम लब्धि फाउंडेशन का काम घर-घर में कलश स्थापित करवाकर समाजहित में दान इकट्ठा करना है। जबकि, गौतम विकास फाउंडेशन अस्पताल निर्माण समेत सेवा-सहायता के काम करेगा। गौतम लब्धि फाउंडेशन में सुनील नाहर राष्ट्रीय निमंत्रक, सतीश सुराणा, अनिल नाहर, किरण बोरा, नयन भंडारी राष्ट्रीय मार्गदर्शक, जोधपुर के सुनील संचेती राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजेंद्र मुनोत राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष, महावीर नाहर राष्ट्रीय आपत्ति प्रमुख, नितिन संकलेचा राष्ट्रीय महामंत्री, संतोष ललवाणी महाराष्ट्र प्रमुख, अजय शाह महाराष्ट्र महामंत्री, पवन भंडारी पुणे सेंट्रल कमेटी अध्यक्ष और सेजल कटारिया पुणे सेंट्रल महिला अध्यक्ष चुनी गईं हैं । वहीं गौतम विकास फाउंडेशन की कार्यकारिणी में ललित पटवा के अलावा सुनील नाहर राष्ट्रीय अध्यक्ष, अनिल नाहर राष्ट्रीय महामंत्री, सचिन नहार और सुजनदास धाड़ीवाल कार्यकारिणी में शामिल किए गए हैं ।

अंधेरे ही सही थे जो राह पर ले आए उजालों ने तो मंजिल से दूर कर दिया

धर्मसभा में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि जी महाराज साहब ने कहा कि अंधेरे ही सही थे जो राह पर ले आए। उजालों ने मुझे मंजिल से दूर कर दिया। मरीचि अंतिम पलों में इन्हीं शब्दों के साथ विदा हुआ। महिसार का जीवन अंधेरे में शुरू हुआ था। उजालों में खत्म हुआ। मरीचि का जीवन‌ उजाले में शुरू हुआ। उजाले में जिया। एक छोटी सी भूल कर ली। जैसा धर्म प्रभु के संघ में है, वैसा ही धर्म मेरे पास है। प्रभु के धर्म को लेकर एक असत्य बोला गया है। असत्य जब भी बोला जाता है, वह सत्य से वंचित हो जाता है। प्रभु को लेकर कोई असत्य बोल दे तो वह प्रभु से वंचित हो जाता है। धर्मों को लेकर असत्य बोल दे तो धर्म से वंचित हो जाते हैं। प्रभु को खोने की पीड़ा वही समझ सकता है जिसने धर्म की अनुभूति की है। इस पीड़ा को वही महसूस कर सकता है जिसने कभी प्रभु को अपने साथ होने का अनुभव किया हो।‌ मिथ्यात्मी जीव 2 प्रकार के होते हैं। एक वो जिसने कभी प्रभु को महसूस ही नहीं किया। जिसने कभी धर्म नहीं किया। दूसरा जिसने धर्म का पालन किया। प्रभु के संग जी लिया। फिर अपनी गलती से मिथ्यात्म में चला गया। पीड़ा किसे अधिक होगी? जिसने प्रभु को पाकर खोया उसे अधिक पीड़ा होगी या जिसने प्रभु को पाया ही नहीं, उसे अधिक पीड़ा होगी! पाकर खोने के बाद जो पीड़ा होती है, उसी वजह से प्रभु फिर मिलते हैं। पीड़ा न हो तो प्रभु के फिर मिलने की संभावना भी खत्म हो जाती है। पीड़ा गहरी होती है। 

अर्हम योग शिविर की शुरुआत 

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया, अर्हम विज्जा के तहत 7 से 9 अगस्त तक टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में अर्हम योग शिविर का आयोजन किया गया है। 2 और 3 सितंबर को ब्लेसफुल कपल शिविर, 9 और 10 सितंबर को अर्हम गर्भ साधना शिविर, 23, 24 सितंबर को अर्हम मृत्युंजय शिविर, 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को अर्हम पैरेंटिंग शिविर, 3 से 5 अक्टूबर को अर्हम डिस्कवर योर सेल्फ शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर को भव्य बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की गईं हैं।