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जो आपको पसंद है वह भी अहित करी है – मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज

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मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज दे रहे हैं आगरा में प्रवचन

हंसते हंसते वाधे हुए कर्मो को काटना मुश्किल होता है

आगरा – जो आपके गार्जियन है उनको जो ना पसंद है उसे ही आप पसंद करते हैं तो आप का डाऊन फाल सुरू हो गया है पसंद की जिंदगी को अपनी डिस्कनरी से निकल दो। गुरु तुम्हें कैसा लगरहा है यदि गुरु सत्रूवत लग रहा है तो समझ लो आप का नाश निश्चित है शत्रु आपको चार मारेगा तो आप उसको एक तो मार ही दोगे यहां तो गुरु आपके हितेशी है आपके माता-पिता भगवान आपके हितेशी है और वे तुम्हारे लिए पसंद नहीं आ रहे तो समझ लेना आपका डाउन फाल आने वाला है उक्त आश्य के उद्गार मुनिपुगंव श्रीसुधासागर जी महाराज ने हरिपर्वत आगरा में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

पुराण कथाएं हमें जीवन जीने की कला सिखाती है

उन्होंने कहा कि कर्म बांधते तो हंसते हंसते हैं लेकिन जव उदय में आयेंगा तो आंसू भी नहीं संभलते इसलिए ऐसे कर्मो से वचने का उपाय पहले से करते हुए सचेत हो जाना चाहिए ऐसा कर्म ही मत करना जिन्हें रोकर भी काटना मुश्किल होता है पुराण कथाएं हमें यही शिक्षा देती है जीवन जीने की कला सिखाती है हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिन कर्मो के उदय में आने पर जीना मुश्किल हो जाएं । उन्होंने कहा कि आप घर तो वनाते है तो एक काम और कर लेना महाराज के आहार कराने का स्थान जरूर वना लेना भले ही महाराज जी ना आये लेकिन तुम्हारे लिए पुण्य अवश्य मिलेगा

नमोस्तु भी जैसा व्यक्ति होता है वैसा आर्शीवाद होता है

 उन्होंने कहा कि जिन जिनके माता पिता बेटे की दृष्टी में अच्छे नहीं है उनसे शर्मिंदा होते हैं तो भावना करे ऐसे माता पिता किसी बेटे को नहीं मिले, यदि माता पिता अच्छे हैं तो हर भव में ऐसे माता पिता मिले, तीसरे माता पिता अच्छे है ऐसे माता पिता दुनिया में हर बेटे को मिले ऐसे माता पिता के बेटे तीर्थंकर होंगे । उन्होंने कहा कि आप महाराज को नमोस्तु करके आशीर्वाद चाहते हैं आशीर्वाद आपका नमोस्तु के अनुसार मिलता है जैसा व्यक्ति होगा वैसा ही आर्शीवाद मिलेगा.जैसे जो धर्म से विपरीत है उनके धर्म लाभ रस्तु,यदि गृहस्थ है तो जब नमोस्तु करे धर्म वृद्धि रस्तु जब धर्म है तब तो वृद्धि यदि श्रावक जब नमोस्तु करे तब समाधी रस्तु का आर्शीवाद देते हैं।साधु जब कोई नवधा भक्ति पूर्वक पडगाहन करता है तब साधु उसको उच्च कालीन जानकर धर्म वृद्धि व समाधि का आशीर्वाद देते हैं।