डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि ऊपर उड़ने वाले जो कोई भी वाहन होता है वह बहुत ऊपर उठकर जाते हैं | उस विमान का आकार, आकृति के अपेक्षा भार बहुत कम होता है | उसमे जो धातू का उपयोग किया जाता है वह बहुत ठोस रहते हुए भी हल्का रहता है | उसमे ये सावधानी रखी जाती है जब वो भागते – भागते ऊपर उठता है | जब छोटे थे उस समय पतंग उड़ाते समय प्रायः एक बच्चा सामने खड़े होकर उसे ऊपर कि ओर छोड़ता है और दूसरा धागे को ऐसे टुनकी मारता है जैसे कोई मोटरसाइकिल में किक मारता है तब पतंग धीरे – धीरे ऊपर जाती है | वाहन कि आकृति के बारे में सोचते हैं तो जैसे पक्षी के पंख होते हैं उसी भांति वाहन का पंख का आकार होता है | सामने से उसका मछली कि भांति आकार होता है जो हवा को चीरता हुआ आगे बढ़ जाता है | जब जमीन से ऊपर उठ जाता है तो तीनो पहिया को पेट में ले लेता है | विमान कि गति बहुत ज्यादा होती है जो एक घंटे में हजारो किलोमीटर पार कर लेता है | इसी प्रकार गृहस्थों को भी हल्का होना चाहिये | भारी भरकम क्या ? अंतिम घडी तक चले जाते हैं तब भी दादा जी का लेन – देन चलते रहता है | लेना बहुत ज्यादा है और देन बहुत कम है | इस ओर आप देख ही नहीं रहे हो | जैसे विमान अपने तीनो पहिया अन्दर कर लेता है ऐसे ही आप लोगो को अपना सारा का सारा सब कुछ अपनी संतान को देकर हल्का हो सकते हैं | फिर आपकी छुट्टी और आप खाली | अब कोई काम नहीं बचा | आप क्या करना चाहते हो ? हम उड़ना चाहते हैं | इसलिए आप लोग अपनी संतानों को कह दो कि विमान कि भांति हम अपना सबकुछ आपको सौप रहे है आज से सब लेना – देना कर लेना | शास्त्रों में चार प्रकार के आश्रमों का उल्लेख मिलता है जिसमे ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वान प्रस्थ आश्रम, सन्यास आश्रम | कई लोग से सुनते हैं कि आप लोग कहते हैं कि सन्यास ले लिया ये बात अलग है कि ५ साल के लिये लिया है | हम आये नहीं इसलिए | बैलेंस बनाये रखा उनके द्वारा जो क्षमता है उनको ब्रेक नहीं लगाया | मांगने कि बात तो छोडिये आप खड़े भी नहीं हो सकते | इसी प्रकार जब सम्यग्दर्शन कि बात आती है तो अपने आप में बिना तीनो पहिया कि तरह परिग्रह को त्याग कर भीतर से रत्नत्रय आएगा तब गति आगे कि ओर बढ़ेगी | नहीं तो विमान होकर भी कितना भी भागे तो उसको हम विमान नहीं कह सकते हैं | परिणामों में भी इस प्रकार उत्थान – पतन, उत्थान – पतन होता रहता है | सन्यास आश्रम में भी निचे – ऊपर (जिसे शास्त्रों में संक्लेश और विशुद्धि परिणाम नाम दिया है ) परिणाम होते हैं | विशुद्धि हमेशा – हमेशा नहीं रह सकती है | ऊपर आकाश में पानी कितना भी साफ हो जब निचे गिरता है तो जमीन को छूते ही रंग बदल जाता है जैसे दूध में चायपत्ती डालने से रंग बदल जाता है | यह परिणमन चलता रहता है | इसी प्रकार विशुद्धि से अशुद्धि में सन्यासी निचे गिरता है तो संक्लेश परिणाम (भाव ) होता है | जब गृहस्थ अपना सब कुछ छोड़कर सन्यास आश्रम में प्रवेश करता है तो वहाँ उसे स्वयं के भाव परिणाम को स्वयं ही संभालना होता है | उसे हर हाल में अभाव में भी सद्भाव का अनुभव करने कि शैली सन्यास आश्रम में प्राप्त होती है | ऐसे ही आचार्य अंतिम समय में अपने सभी कार्य से अवकाश ले लेते हैं और आकाश कि तरह हलके फुल्के होकर अपनी आत्मा में लीन हो जाते हैं | विमान जब किसी पक्षी (कौवा, गिद्ध, चील) से टकराता है तो धरासाही हो जाता है उसी प्रकार जब मुनि महाराज से कोई परिग्रह का पक्षी टकरा जाए तो वह धरासाही हो जाता है | बहुत होश्यारी के साथ इस मार्ग में चलना पड़ता है | धन्य है ऐसे मुनि महाराज जो ऐसे परिग्रह से बचकर अपनी क्रियाओं को सुरक्षित स्थान तक ले जाते हैं | आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्रीमती सुगंधी बाई (7 प्रतिमाधारी), श्री बजाज सुनील जी (वास्तु विशारद) इंदौर (मध्य प्रदेश) निवासी परिवार को प्राप्त हुआ | जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की आचार्य क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |