मुरेना – सरला जैन ने संसारिक सुख एवम वैभव एवम गृह को त्याग कर दीक्षा को ग्रहण कर क्षुलिका 105 श्री सुभूषणमति माताजी बनी श्री मनोज जैन नायक से मिली जानकारी अनुसार मुरैना नगर के लोहिया बाजार निवासरत श्रीमती सरला जैन धर्मपत्नी स्व.श्री सुमतिचंद जैन मास्टर साहब ने बुधवार 05 जुलाई को अरिहंतगिरी (तिरुमलाई) तमिलनाडू में दिगम्बराचार्य विद्यावाचस्पति श्री आचार्य श्री 107 सुविधिसागर जी महाराज, आचार्य श्री गुलाबभूषण जी महाराज, भट्टारक श्री धवलकीर्ति जी के पावन पुनीत सन्निधि में आर्यिका 105 श्री सुविधिमति माताजी के करकमलों से जैनेश्वरी क्षुल्लिका दीक्षा प्रदान की गई । दीक्षा के क्रम में सर्वप्रथम सरला जैन ने स्वयं के हाथों से अपने केशव का लुंचन किया। साथ ही संसार को नश्वर मानते हुए अपने शरीर के सभी आभूषणों को त्याग कर दिया। एवं मौजूद समुदाय के बीच संसार के सभी प्राणियों से क्षमा याचना की एवम स्वयम ने भी सभी को क्षमा किया । यह क्षण सचमुच भावविभोर कर देने वाला था। पूज्या गुरु मा आर्यिका 105 सुविधिमति माताजी ने दीक्षा संस्कार करने से पूर्व दीक्षार्थी के परिवारजनों एवं सगे संबंधियों से उपस्थित सभीजनों से दीक्षा हेतु स्वीकृति ली । माताजी ने दीक्षा के संस्कार करते हुए कर उन्हें क्षुल्लिका 105 सुभूषणमति माताजी नाम प्रदान किया । दीक्षा लेने के बाद अब सरला जैन का अपने परिवार, रिश्तेदारों आदि से कोई संबंध नहीं रहेगा । उन्होंने अब सांसारिक सुख, मोह, माया आदि सभी का त्याग कर वैराग्य धारण कर लिया है । इस पावन अवसर पर आचार्य श्री सुविधिसागर महाराज का पाद प्रक्षालन दिलीपकुमार, नवीनकुमार, रोमिल जैन गौसपुर परिवार चैन्नई ने एवम शास्त्र भेंट अंजू जैन मुरार, मनीषा जैन अजमेर, संध्या जैन आगरा, रोली जैन अजमेर ने किया ।
नवदीक्षित क्षुल्लिका श्री सुभूषणमति माताजी को आचार्य श्री सुविधिसागर महाराज एवम भट्टारक धवलकीर्ति जी ने नवीन मोर पिच्छिका प्रदान की । नवीन अंजू जैन गौसपुर बालों को दीक्षार्थी के माता पिता बनने का एवम कृष्णलाल संचैती चैन्नई को केशलोच की बोली लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । राकेशकुमार, पंकजकुमार, शशांककुमार, यतीश जैन मुरार ने कमंडलू, के.के.जैन, मानव जैन, रोजन जैन (चांदी वाले) परिवार आगरा ने वस्त्र, महेंद्रकुमार मनीष जैन मुरार ने शास्त्र, दिलीप जैन, नवीन जैन चैन्नई, रोमिल जैन यू एस ए ने पात्र प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त किया ।