राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि मानते थे दानवीर भामाशाह
रायपुर – दानवीर भामाशाह निज धर्म से राष्ट्रीय धर्म को सर्वोपरि मानते थे इसलिए उन्होंने जैन मंदिर के निर्माण के लिए इकठ्ठी की गई अपनी सारी संपदा मेवाड़ के रक्षार्थ महाराणा प्रताप के चरणों में समर्पित कर दी। यह इतनी संपदा थी कि 25000 की सेना का 12 वर्ष तक संचालन किया जा सकता था। इतना ही नहीं एक वणिक पुत्र होते हुए भी क्षत्रिय पौरुष की भांति वे युद्ध के मैदान में लड़े और विजय प्राप्त की।
आज भामाशाह जयंती के अवसर पर श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश रारा ने रायपुर में एक प्रेस नोट जारी कर बतलाया कि दानवीर भामाशाह का जन्म पाली जिले के सादड़ी ग्राम में 28 जून 1547 को ओसवाल जैन जाति में हुआ था। आपके पिता भारमल रणथंबोर के किले दार थे।