सागर – बच्चों को स्कूल और कॉलेज भेजते हैं और हम स्वतंत्र हो जाते हैं कि बच्चे पढ़ने में व्यस्त होंगे लेकिन आजकल स्थिति यह है लड़के व्यसनों में लिप्त हैं लड़कियां फैशन के लिए उत्साहित हैं और उनके माता-पिता टेंशन में है कि हम क्या करें मुखिया के नाते आप बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों की भी शिक्षा देंगे तो आपको टेंशन नहीं होगा और बच्चे भी सही दिशा में जाएंगे यह बात मुनि श्री निर्दोष सागर महाराज ने कटरा स्थित गौराबाई जैन मंदिर के फर्श पर चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान के पहले दिन कहीं मुनि श्री ने कहा कि सिद्धचक्र महामंडल विधान 8 दिन बड़े ठाठ से मनाना चाहिए भगवान की भक्ति में रम जाना चाहिए सिद्धचक्र महामंडल विधान का जो फल मैनारानी ने पाया था वह आप सब को ज्ञात है मुनि श्री ने कहा कि यदि परिवार में कोई छोटा व्यक्ति भी है लेकिन वह गुणवान है तो सबसे बड़ा मानते हैं और उसकी बात मानते है हमारी संस्कृति पहले मोटा खाने की कि मोटा कपड़ा पहनने की थी लेकिन आज या संस्कृति लोग भूल गए हैं इसके कारण ही बीमारियां बढ़ रही हैं यह सब खानपान के बिगड़ने से हो रहा है इच्छाओं के सागर को जो भी कम करेगा वह सुखी रहेगा और सलाहकार भी हमेशा अच्छा रखो शकुनी मामा जैसा नहीं आज जो परिवार टूट रहे हैं इस टूटने का कारण सलाहकार ही है जो घर में भेद डाल रहे हैं। पांडव के सलाहकार कृष्ण जी थे जिन्होंने इतिहास लिखवा दिया मुनि श्री ने कहा अपने बच्चों को खर्च के लिए पैसे देते हैं उनका हिसाब किताब लेना चाहिए ताकि आपको ज्ञात रहे कि बच्चे ने कहा क्या खर्च किया है पंडित पन्नालाल साहित्याचार्य भले सागर के थे लेकिन आज जैन धर्म में उनका नाम इतिहास में है।
मुनि श्री निर्लोभसागर महाराज ने कहा कि जिसके पास हिम्मत साहस और ताकत रहती है वहां पर भय नहीं रहता है । लेकिन जहां भय होता है वहां पर हिम्मत, ताकत और साहस नहीं होता है मुनि श्री ने कहा जहां क्रोध रहता है वहां बुद्धि नहीं रहती है क्योंकि क्रोध की शुरुआत अविवेक से होती है और अंत पश्चाताप से होता है और जब क्रोध आता है तो बुद्धि और विवेक भाग जाते हैं जब आपको गुस्सा आए उस समय आपको निर्णय लेना चाहिए क्योंकि क्रोध के समय बुद्धि विवेक खत्म हो जाता है और यदि गुस्सा आने पर मौन ले ले और उस स्थान को छोड़ दो और यह कहो सामने वाले से भैया हाथ जोड़ता हूं और आपका पिंड छोड़ता हूं आप हमेशा सुखी रहेंगे मुनि श्री ने कहा लज्जा मनुष्य की आंख में रहती है और जिसके मन में लज्जा रहती है वह मर्यादा के विरुद्ध कार्य नहीं करता है और जब लज्जा निकल जाती है तब लोग गलत कार्य करने में पीछे नहीं हटते हैं यदि आपको अवगुणों से बचना है तो अपने साथ लज्जा रखना होगी । मुकेश जैन ढाना ने बताया कटरा में कीर्ति स्तंभ के पीछे बन रहे संत निवास के लिए महेश बिलहरा, राहुल बिलहरा ने ₹1 लाख देने की घोषणा की। विधान ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी के निर्देशन में चल रहा है।