भक्ति, भावना और कर्तव्य निष्ठ बनकर करायेंगे चातुर्मास
जतारा – भारतीय वसुन्धरा अनादिकाल से अनेकानेक महापुरुषों की जन्म भूमि रही है। हमारे सम्पूर्ण पौराणिक महापुरुषों ने जन्म लेकर इस भारत भूमि को पवित्र किया है. यहाँ की मिट्टी का कण-कण तीर्थकर आदि महापुरुषों के स्पर्श से पवित्र हुआ है। जैन संतो की सुदीर्घ श्रृंखला में बुन्देलखण्ड अग्रगण्य स्थान को प्राप्त है। बुन्देलखण्ड के हृदयस्थल टीकमगढ़ जिले की धर्मनगरी जतारा आज विश्वाकाश में ध्रुवतारे की तरह शोभा पा रहा है, आखिर हो भी क्यों न, इस पावन धरा पर “जीवन है पानी की बूँद महाकाव्य के मूल रचयिता प्रसिद्ध जैन- ‘आचार्य, जिनागम पंथ प्रवर्तक भावलिगी संत आचार्य श्री 107 विमर्शसागर जी महामुनिराज ने जन्म जो लिया है । जी हाँ, पूज्य आचार्यश्री की जन्मभूमि जतारा नगर में ही अपने संघ विराजमान है। सकल दिगम्बर जैन समाज एवं नगरवासी जनों ने अपना परम सौभाग्य मानते हुए ‘अपने नगर गौरव आचार्यश्री के पवित्र चरणो में भावभीना विनम्र निवेदन किया कि हे गुरुदेव आपके विशाल चतुविध संघ का स्वर्णिम चातुर्मास जन्मभूमि अतिशय क्षेत्र जतारा नगर को प्राप्त हो समाज के वरिष्ठ श्रावकों ने कहा कि यह स्वर्णिम वर्ष का वर्षायोग जन्मभूमि पर ऐतिहासिक और चमत्कारिक होगा ।
सकल जैन समाज एवं नगरवासियों की भावना एवं विनम्र आग्रह को ध्यान में रखते हुए आचार्य श्री ने अपने उद्बोधन से कहा- सकल जैन समाज, जतारा ने यह भावना भाई है कि गुरु संघ का चातुर्मास हमारे नगर में हो, इसके लिए आपने भरसक प्रयास भी किया है। विगत कई दिनों से आप निरंतर निवेदन भी करते आ रहे हैं लेकिन आपको सफलता प्राप्त नहीं हो पाती। मैंने आपको तीन शिक्षायें दी थीं-भावना, भक्ति और कर्तव्य । आप सदैन अपनी परीक्षा देते रहे, आज आपकी परीक्षा का परिणाम घोषित होने का समय आ गया है। ध्यान रखना अगर मेहनत सच्ची हो तो सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है। लोग कहते हैं कि गुरुदेव, सब कुछ करने वाले तो आप ही हैं लेकिन मैं कहता हूँ मैं कुछ नहीं करता, करने वाले तो भोयरे जी के बड़े बाबा भगवान आदिनाथ स्वामी हैं, मैं तो उन्हीं का ‘आशीष तुम सब तक पहुँचाने का कार्य करता हूँ। जैसे- आम तो वृक्ष से ही प्राप्त होते है लेकिन लोग कहते हैं कि हम आम हाथठेले से लेकर आए है । आज का दिन पावन- पवित्र है क्योंकि आज तीर्थकर भगवान 1008 श्री विमलनाथ भगवान का मोक्षकल्याणक है। आज आप सबका भी महान पुण्य जागृत हुआ है इसीलिए वर्ष 2023 के चातुर्मास के लिए जतारा जैन समाज 95% आशीर्वाद है, शेष आशीर्वाद तब प्राप्त होगा जब आप अपनी कमर कसकर स्थापना कराने के लिए बैठे होगे । चातुर्मास में आप सभी भोयरे वाले बड़े बाबा की खूब भक्ति करें निश्चित ही आपके समस्त मनोभिलसित कार्य बनेंगे, चतुर्विध संघ की मन-वचन काय से सेवा वैयावृत्ति करें । जहाँ जिसकी जो भूमिका हो वह अपना कर्तव्य मानकर अपने कर्तव्य को पूर्ण करें, यही हमारा मंगल आशीर्वाद है।