लक्ष्य प्राप्ति के लिये पुरुषार्थ अनिवार्य है
डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि प्रत्येक द्रव्य में अपने – अपने परिणमन होते हैं प्रकृति के अनुसार | जिस प्रकार द्रव्य का जो स्वभाव होता है उसका उसी प्रकार परिणमन होता है | अग्नि का स्वभाव उष्ण होता है और जल का स्वभाव शीत होता है | इसी प्रकार प्रकृति में प्रत्येक द्रव्य का अपना – अपना स्वभाव होता है | कभी – कभी किसी और द्रव्य के संयोग से विपरीत परिणमन भी होता है | जैसे जल का स्वभाव शीत है जब वह जल अग्नि के संयोग में आता है तो उसका स्वभाव बदलने लगता है और वह गर्म होने लगता है | उस समय उसका स्वभाव जलाने का हो जाता है | जब जल अग्नि के संयोग से अलग होता है तो वह पुनः अपने स्वभाव (ठंडा होने लगता है ) में आने लगता है | प्रकृति का स्वभाव जीव और पुदगल अलग – अलग होता है, इन्ही दोनों से मिलकर संसार बना हुआ है | इन्हें अलग करने का रास्ता भी है | एक गंजी में दूध रखा है उसे जब चूल्हे में गर्म करते हैं और गर्म होने के पश्चात् गंजी को चूल्हे से निचे उतार लेते हैं तो फिर दूध धीरे – धीरे ठंडा होने लगता है और उसमे पतली झिल्ली आने लग जाती है | जैसे – जैसे गर्म कम होता है तो मलाई जमने लगती है और उसमे घी चमकने लगता है | जब दूध धीरे – धीरे ठंडा हो जाता है तो उसमे जमी मलाई निकालकर उससे घी बनाने कि प्रक्रिया आपको मालूम है | कोई भी कार्य को करने के लिये पुरुषार्थ प्रत्येक क्षेत्र में अनिवार्य होता है | दूध में कोई भी घी बाहर से नहीं डालता है परन्तु वह दूध में विद्यमान रहता है और उसे प्राप्त करने के लिये विशेष विधि से पुरुषार्थ करने पर वह घी आपको प्राप्त हो जाता है | इसी प्रकार जीव और पुदगल (यहाँ पुदगल कर्म के रूप में है), कर्मों के योग से , राग – द्वेष आदि से आत्मा के साथ लग जाते हैं | जब मनुष्य तप, संयम आदि को अपने जीवन में लाता है अपने अन्तरंग में धारण करता है तो आत्मा में लगे अनेक प्रकार के कर्म कम होने लग जाते हैं | आप लोगो को घी बनाने में 12 घंटे लग जाते हैं जबकि 12 मिनट में ही वह आत्मिय शक्ति बाहर आने को अपने आप तैयार हो जाती है | संतो ने बताया है कि इस प्रक्रिया से आत्मा ऊपर ऊर्द्धगमन करने को तैयार हो जाती है | “मिले अनादी से, यतन से बिछड़े, पय और पानी”| विश्वविद्यालयों में भी प्रत्येक विषय में प्रयत्न करने से सभी विषय में अच्छे अंक प्राप्त करने पर सबकी, सभी छात्र – छात्राओं कि दृष्टि उस विद्यार्थी कि ओर हो जाती है | इसी प्रकार प्रयत्न करने से आपका तप बढ़ता है जिस प्रकार दूध में मलाई आ जाती है उसी प्रकार भीतर आपकी चेतना जागृत हो जाती है | हर व्यक्ति में इसे प्राप्त करने कि क्षमता विद्यमान रहती है | आज इसे समझाने वाले गुरु भी मिल जाते हैं लेकिन जबतक श्रधान नहीं होगा तब तक आपको यह रहस्य समझ में नहीं आएगा | बढती उम्र के साथ गुणों में भी वृद्धि होना चाहिये | ओमकाराय नमो नमः |आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी पंकज दीदी, प्रीती दीदी अशोक नगर निवासी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है |आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके | उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |