परेशान होकर मरना समस्या का समाधान नहीं है
भक्तों के समूह पहुंच कर कर रहे हैं चातुर्मास का निवेदन
अशोक नगर – जिंदगी में कभी मरने का भाव मत करना कुछ भी हद तक उतरना जिंदगी सेपरेशान हो कर ऐसी कोई वुरी आदत मत डालना कि कहीं इसी आदत से दुःख देने वाली तो नहीं होगी जाओ जो कार्य करना हो कर लो लेकिन ऐसा कोई काममत करना कि कल पछताना पड़े पश्चाताप तो नहीं करना पड़ेगा आपके संसार की वात कर रहे हैं ऐसा कोई काम मत करना कि तुम्हारी मां के आंख में आसू ना आए ऐसा कोई काम मत करना कि तुम्हारी मां रोटी भी ना खा पाये पिता मस्तक उठा कर जी सकेंगे उक्तआश्य के उद्गार मुनिपुंगव श्रीसुधासागर जी महाराज ने करगुआ तीर्थ झांसी में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि पुंगव ससंघ करगुआ तीर्थ झांसी में विराजमान हैं
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ससंघ क्षुल्लक श्री गंभीर सागर जी एवं प्रतिष्ठा चार्य प्रदीप भइया शुयस भी अभी तीर्थ क्षेत्र पर विराज रहे हैं जहां प्रतिदिन सुबह मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज के मंगल प्रवचन एवं शाम को जिज्ञासा समाधान का सीधा प्रसारण किया जा रहा है आज धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री क्रोध को रोक लो अपने लिए नहीं अपनो को लिए इसलिए जिंदगी में ऐसा कोई काम मत करना जिससे तुम और तुम्हारो की इज्जत वनी रहें महावीर ने अपने भक्तों को कायर नहीं वनाया है भगवान महावीर ने अपने और अपनों की चिन्ता करते हुए कुछ सहन करने की कला सिखाई है।
जिंदगी को इज्जत से जीने की कला सीखें
उन्होंने कहा कि तुम्हारी अपनी जिंदगी प्यारी है इसे इज्जत से जीने की कला सीखें जैनियों में लोग अपनों से दुखी हैं दुश्मन से दुखी नहीं हैं भाई भाई से दुखी हैं मैं उन दुखों की वात कर रहा हूं जिनके दुख दूर करने का उपाय ही नहीं है कोई वीमारी हो तो श्री भक्तावर जी का छयालीस वा स्लोक पड़ लेते सांप से शेर से वचने का मंत्र तो है लेकिन भाई भाई से दुखी हैं पति पत्नी से दुखी हैं तो इसका कोई उपाय नहीं है शादी अच्छे के लिए की थी लेकिन आज एक दूसरे की सकल नहीं देखना चाहते जिस दिन भाई भाई के दुःख दूर करने का मंत्र वन गया तो समझ लेना कि सृष्टि के विनास का समय आ गया।