सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र मोक्षमार्ग में आवश्यक है – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज
डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है । आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है चाहे वह आपके रिश्ते में हो या धर्म में । जब तक विश्वास होता है सब कुछ ठीक लगता है विश्वास में ही श्रद्धा, भक्ति, भाव निहित होता है । विश्वास में जहा कमी होती है वहाँ पर अरुचि होने लगती है । उसमे हमारा मन नहीं लगता है ध्यान इधर – उधर भटकता है । और जिसमे हमारी रूचि होती है वहाँ चाहे दिन हो या रात मन लगा रहता है और उत्साह बना रहता है । आपकी रूचि अच्छे या बुरे कार्य में होगी तो उसके अनुरूप ही उसका फल आपको मिलेगा । अणुव्रत और महाव्रत दोनों अपनी – अपनी जगह महत्वपूर्ण है । अणुव्रत का पालन आप लोग करते हैं और महाव्रत का पालन महाव्रती करते हैं । कुछ लोग पूछते हैं महाराज यदि अणुव्रत को तोड़ सकते हैं या यह किसी कारण टूट जाये तो क्या करें । जिसमे रूचि होती है वहाँ चाहे वह छोटा (अणुव्रत) हो या बड़ा (महाव्रत) हो वह हर पल उसका ध्यान रखता है और वह उसका विवेक और उत्साह पूर्वक पालन करता है । और यदि अणुव्रत टूट जाये तो उसका टूटने का कारण क्या है क्यों टूटा इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है । आचार्यों ने बताया है कि व्रतों का उत्साह पूर्वक अपनी शक्ति अनुरूप पालन करना चाहिये जिससे उसमे रूचि बढती रहे और मन शांत रहे । जिस प्रकार एक गीतकार अपने सुर का ध्यान रखता है कि कहा ऊँचा लेना है और कहा निचा लेना है । वह अपने गीत के माध्यम से अकेले ही भक्ति करने में सक्षम होता है । एक और व्यक्ति उस गीतकार के साथ मृदंग (तबला) बजाने के माध्यम जुड़ना चाहता है । तो गीतकार कहता है कि यदि तुमने कुछ आगे पीछे बजा दिया तो मेरा गीत गड़बड़ हो जायेगा तो तबला बजाने वाला कहता है कि नहीं कुछ गड़बड़ नहीं होगी आप निश्चिन्त रहो । मेरे मृदंग वादन से आपके गीत में और आनंद और उत्साह आ जायेगा । इसके बाद एक नृत्यकार आ जाता है और कहता है कि आपके गीत और मृदंग्वादन के साथ मै नृत्य करना चाहता हूँ तो गीतकार कहता है यदि तुम कुछ ऊपर निचे कर दिए तो हमारा कार्य गड़बड़ हो जायेगा तो नृत्यकार कहता है नहीं ऐसा नहीं होगा आप मुझपर विश्वास रखो मेरे नृत्य से आपके गीत में और आनंद और उत्साह आ जायेगा । आप के गीत गायन में कुछ ऊपर निचे हो सकता है पर मेरे नृत्य में कभी गड़बड़ी नहीं हो सकती । आपने सौधर्म इंद्र का ताण्डव तो देखा ही होगा जिसमे ना गीत कि और ना ही मृदंग (तबला) कि आवश्यकता होती है । इस प्रकार हमें सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र को मोक्षमार्ग में आवश्यक मानना चाहिये । मोक्षमार्गी को अपना अटूट आत्मविश्वास इसपर बनाये रखना चाहिये । आज आप लोगो ने इतने अच्छे से मोक्षमार्ग के बारे में सुना इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य प्रतिभास्थली कि ब्रह्मचारिणी सोनल दीदी मीनल दीदी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी । श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है । यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है । यहाँ हाथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है । यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है । कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके । उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है ।