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जैन संत श्री विराग मुनि के 126 उपवास पूर्ण , दादागुरुदेव की बड़ी पूजा कर सुखशाता की मंगलकामना

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खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणि प्रभ सूरीश्वर के आशीर्वाद से रायपुर श्रीसंघ द्वारा श्री विराग मुनि को तप चक्रवर्ती की उपाधि दी गई

रायपुर (विश्व परिवार)। खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वर जी म सा हस्ते प्रतिष्ठित चमत्कारी श्री जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी भैरव सोसायटी में अमावस्या के पावन अवसर पर दादागुरुदेव की बड़ी पूजा कर जैन संत श्री विराग मुनि के अभिग्रह पूर्वक जारी 126 उपवास की सुखशाता की मंगलकामना की गई उक्ताशय की जानकारी श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष सन्तोष बैद व महासचिव महेन्द्र कोचर ने दी । श्री विराग मुनि द्वारा आत्मकल्याण सह विश्वकल्याण की भावना से अभिग्रह पूर्वक 15 जनवरी से लगातार जैन उपवास जारी है , 16 मई को 121 उपवास का पारणा महोत्सव संभावित था लेकिन सभी अभिग्रह पूर्ण न होने पर श्री विराग मुनि ने अपने गुरु आगम ज्ञाता , युवा हृदय सम्राट , सरल स्वभावी प पु गणाधीश , पन्यास प्रवर , गणिवर्य श्री विनयकुशल मुनि जी म सा की अनुमति व आशीर्वाद से 122 वां उपवास जारी रखा , 20 मई को 126 वां उपवास पूर्ण हुआ है । महेन्द्र कोचर ने बताया कि जैन धर्म के वर्तमान शासनपति भगवान महावीर स्वामी ने भी अपने साधना काल में अभिग्रह युक्त 5 माह 25 दिन का उपवास किया था और परमात्मा का पारणा चंदनबाला के हाथों हुआ था । जैन संत श्री विराग मुनि जी को खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वर जी के आशीर्वाद से तप चक्रवर्ती की उपाधि रायपुर श्रीसंघ द्वारा प्रदान की गई , श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट ने उपाधि की अनुमोदना कर जयजयकार की । श्री विराग मुनि जी की उपवास की साधना अभिग्रह पूर्वक जारी है । अध्यक्ष संतोष बैद ने बताया कि दादागुरुदेव की बड़ी पूजा में जैन संत तप चक्रवर्ती श्री विराग मुनि के 126 उपवास की सुखशाता हेतु मंगलकामना की गई । चारों दादागुरुदेव से सकल जैन समाज श्रीसंघ ने प्रार्थना कर शीघ्र अभिग्रह पूर्ण होने की अरदास की । आज अमावस्या को दादागुरुदेव की बड़ी पूजा के लाभार्थी जयचंद रमेश , मोहन चंद बच्छावत , दिनेश कुमार जैन , बसंत जितेन्द्र नाहर , नीलमचंद डॉ अंशुल बरड़िया , वर्तिका वर्धमान वैभव चोपड़ा , गुमान चंद कांतिलाल झाबक , संतोष सरला बैद परिवार हैं । *श्री विराग मुनि जी म सा के अभिग्रह पूर्वक 21 मई को 127 वां उपवास जारी है ।