8 दिवसीय संस्कार शिविर का समापन
सांगानेर (विश्व परिवार)। 8 दिवसीय श्रमण संस्कृति संस्कार शिविर के अंतिम दिन सांगानेर सें आये विद्वान् पं आदिश जैन शास्त्री ने बताया की आज गुरु अपने आप में एक श्रेष्ठ अर्थ को लिए हुए हैं गुरु अर्थात ब्रह्मा विष्णु। लेकिन आजकल जो गुरु है शिक्षा को व्यापार का माध्यम समझते जा रहे हैं। इसीलिए इस युग के दृष्टा पं.आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा बहुत सी जगह प्रतिभास्थली गुरुकुल का निर्माण किया गया है जहां पर शिक्षा को एक व्यापार नहीं जीवन के निर्माण का उद्देश्य माना गया है। अगर हम सभी इस सुव्यवस्थित कार्य में अपने माध्यम से कुछ समर्पण दे सकते हैं तो यह इस युग के दृष्टा गुरुजी के लिए हमारा एक बहुत बड़ा समर्पण होगा।हम सही मायने में गुरु को तो मानते हैं लेकिन हम गुरु की नहीं मानते हैं इसलिए यदि हम गुरु को एवं गुरु की दोनों को मानते हैं
तो हमें हमारे गुरु जी द्वारा समय-समय पर जो भी उपदेश दिया जाता है उन सभी उपदेशों का पालन करना चाहिए ताकि समाज में हम सभी एक अच्छा रूप उभर कर दिखा सक कि गुरु शब्द जो पहले गुरुकुल में हुआ करता था वह आज भी जीवित है आज भी ऐसे संत हैं इस जगत में जो जगत कल्याण की भावना निरंतर भा रहे हैं एवं सभी लोगों को दर्शन देने के लिए आहार निहार, और गांव गांव विहार प्रतिपल कर रहे हैं ऐसे गुरुवर के नेक कार्यों में यदि हमारा थोड़ा सा भी योगदान बनता है तो हमें उससे पीछे नहीं हटना चाहिए इसलिए तो कहते हैं जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं । और मैं तो यह भी कहता हूँ जिंदगी में यदि कामयाब ना हो पाओ तो कोई बात नहीं जिंदगी में यदि कामयाब ना हो पाओ तो कोई बात नहीं लेकिन अपने जीवन में ऐसा एक कार्य तो करो लेकिन अपने जीवन में ऐसा एक कार्य तो उनके लिए करो जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही जन कल्याण की भावना में समर्पित कर दिया।श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़े मंदिर पंचायत ट्रस्ट मालवीय रोड के अध्यक्ष संजय जैन नायक सचिव राजेश रज्जन जैन ने बताया की आज शिविर के अंतिम दिन 7 मई को सुबह 7.30 बजे श्री जी का अभिषेक शांति धारा ओउजान आरती व भक्ताम्बर विधान किया गया तत्पश्चात बच्चों एवं बड़ो की परीक्षा का आयोजन किया गया शाम 7.30 बजे प्रतिदिन की तरह संध्या आरती के बाद सांगानेर सें पधारे विद्वान पं.अंश जैन शास्त्री एवं आदिश जैन शास्त्री जी का सम्मान किया गया साथ ही साथ शिविर मे विभिन्न प्रतियोगिताओं व परीक्षा मे भाग लिए बच्चों एवं बड़ो के परिणामो की घोषणा कर उन्हें प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया इस अवसर पर समाज के बहुत सें धर्मप्रेमी बंधु उपस्थित थे