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Opinion: वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव के बावजूद मोदी सरकार ने लगातार रोजगार बढ़ाया…

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क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में बीते 6 सालों में में रोजगार के अवसरों में हुई पांच गुना की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. 2017 से अब तक 5 गुना कंपनियां रोजगार देने पहुंचीं.

रोजगार सृजन के अवसर और बढ़ेंगे. पिछले दो वर्षों में 400 से अधिक स्टार्ट-अप पंजीकृत किए गए हैं जिसमें ई-कॉमर्स, बागवानी, कृषि, खाद्य उद्योग और शिल्प जैसे क्षेत्र हैं. वैसे तो टेक कम्पनियां पूरी दुनिया में छंटनी कर रही हैं, बीते डेढ़ सालों में भारत में करीब एक लाख नई नौकरियां दीं हैं. भारतीय सेलुलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक पिछले 7 साल में इस सेक्टर में करीब 50 लाख युवाओं को नौकरी मिली है.

ध्यान रखने की बात है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में है. अमेरिका में पहले सिलिकॉन वैली और फिर कुछ ही दिनों के भीतर सिग्नेचर बैंक पर ताला लग गया और अब फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयर भी धडाधड गिर रहे हैं लेकिन आगे और भी मुश्किल समय है. विशेषज्ञों के मुताबिक अन्य अमेरिकी बैंक अभी और बंद होंगे. जाहिर सी बात है कि इससे अमेरिका की विकास दर प्रभावित होने के साथ-साथ वहां रोजगार का भी बड़ा संकट पैदा होने वाला है. बैंकिंग सेक्टर का ये खतरा अब पहले से ही अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जूझ रहे यूरोप भी पहुँच गया है. दुनिया की एक और आर्थिक महाशक्ति चीन की अर्थव्यवस्था पिछले साल सिर्फ 3% बढ़ी है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इस साल के लिए महज 5% का विकास लक्ष्य निर्धारित किया है जो बीते तीन दशकों में सबसे कम है. दरअसल पहले कोविड के बाद जिस तरह दुनिया भर में जो आर्थिक संकट आया, वो उसके बाद लगातार बढ़ रही मुद्रास्फीति और फिर ब्याज दरों को बढ़ाये जाने से और गहरा गया है.

इसके विपरीत भारत में अर्थव्यवस्था पटरी पर दिख रही है और रोजगार के नए अवसर पैदा भी कर रही है. देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं जिसका एक बड़ा प्रमाण है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. आंकड़ो के मुताबिक ईपीएफओ ने दिसंबर 2022 के दौरान कुल 14.93 लाख नए ग्राहक बनाए हैं जिसमें से 8.02 लाख नए सदस्य हैं. खास बात ये है कि दिसंबर महीने के दौरान लगभग 2.05 लाख नए महिला पेरोल जोड़े गए. CMIE के आंकड़ों के मुताबिक भारत में जनवरी में शहरी क्षेत्रों में रोजगार दर 34.33% थी जो फरवरी में बढ़कर 34.96% हो गई. सितंबर 2020 के बाद से शहरी क्षेत्र में दर्ज रोजगार दर का यह उच्चतम स्तर रहा. फरवरी में शहरी क्षेत्रों में कार्यबल में 26 लाख का इजाफा हुआ.

सरकार नीति निर्माण से लेकर उनके क्रियान्वयन को लेकर प्रतिबद्ध है. कुछ ही दिन पहले विश्वकर्मा जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि केंद्र सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक विश्वकर्मा को आसान ऋण, कौशल, तकनीकी सहायता, डिजिटल सशक्तिकरण, ब्रांड प्रचार, विपणन और कच्चा माल मिले. प्रधानमंत्री ने कहा कि कुशल कारीगर प्राचीन भारत में निर्यात के लिए अपने तरीके से योगदान दे रहे थे मगर इन्हें लंबे समय तक उपेक्षित किया गया लेकिन अब स्टार्टअप ई-कॉमर्स मॉडल के माध्यम से हम शिल्प उत्पादों के लिए बेहतर तकनीक, डिजाइन, पैकेजिंग और आर्थिक मदद करने के अलावा एक बड़ा बाजार भी बना सकते हैं.

परंपरागत व्यवसाय के साथ भारत आधुनिक तकनीकी के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. 2016 में भारत में मौजूद 442 स्टार्टअप्स की संख्या अब 92,683 के करीब हो चुकी है. सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के भारत स्टार्टअप शिखर सम्मेलन में कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और शिक्षाविदों ने छह जी प्रौद्योगिकी के लिये 100 पेटेंट हासिल किये हैं और भारत दुनिया में सबसे तेजी से नेटवर्क के क्रियान्वयन के साथ 5जी तकनीक में छलांग लगा रहा है.” इसी वजह से ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 में 81वें से 40वें स्थान पर भारत छलांग लगा चुका है और निकट भविष्य में इसके और ऊपर जाने की प्रबल संभावनाएं हैं.

रोजगार के संकट को कम करने के लिए मोदी सरकार लगातार मैन्युफैक्चर सेक्टर पर ध्यान दे रही है. “मेक इन इंडिया” स्कीम के तहत हर सेक्टर में भारत में ही उत्पादन का जोर है. रक्षा प्रणालियों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता कम करता जा रहा है और केंद्र सरकार देश में स्वदेशी डिजाइन, विकास और रक्षा उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है. 2018-19 में विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद पर कुल खर्च 46% से कम होकर, दिसंबर 2022 में 36.7% हो गया है. कुछ साल पहले तक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स आयात पर अत्यधिक निर्भर था. आज भारत में 16 बिलियन डॉलर के निर्यात के साथ 76 बिलियन डॉलर की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण अर्थव्यवस्था है. देश में उत्पादन कैसे और बढ़ सके इसके लिए “प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम” के तहत केंद्र सरकार ने 25,929 करोड़ रुपये की राशि तय की.

मोदी सरकार ने 6 अक्टूबर 2020 को कहा था कि पीएलआई स्कीम से 2 लाख युवाओं को सीधे रोजगार मिल सकेगा. अगस्त 2021 में पीएलआई स्कीम आने के बाद से एप्पल का फोन बनाने वाली फॉक्सकॉन होन हाई ने तमिलनाडु इकाई में ही 35हज़ार युवाओं को रोजगार दिया जबकि तमिलनाडु में ही पेगाट्रॉन की यूनिट में 14 हज़ार लोगों को रोजगार मिला. वहीं कर्नाटक में विस्ट्रॉन में करीब 13 हज़ार प्रोफेशनल्स को रोजगार मिला है. अनुमानतः एपल वित्त वर्ष 2026 तक भारत में तीन लाख रोजगार दे सकती है. हाल ये है कि 10 साल पहले 99% मोबाइल फोन आयात होते थे जबकि आज 99% देश में ही बन रहे हैं. बल्कि अब भारत ने अमेरिका को दूरसंचार उत्पादों का निर्यात शुरू कर दिया है.

घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक अगले पांच वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की औसतन सालाना वृद्धि दर 6.8 रहेगी और अगले वित्त वर्ष में कंपनियों की आय में डबल डिजिट वृद्धि हो सकती है. आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित होती अर्थव्यवस्था हो गई है और अच्छे प्रशासन और आवश्यक परिवर्तनों के साथ इसमें दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के गुण हैं.