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Chhattisgarh : सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है? मिशन 2023 के लिए कांग्रेस का समीकरण

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Raipur: सही मौके का इंतजार कर वार करना चाहिए. छत्तीसगढ़ की राजनीति में माहौल भी ऐसा बना है कि आंदोलनकर्मा सरकार पर लगातार बरस रहे हैंं.

ये साल छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का है. इससे पहले कांग्रेस सरकार के लिए अपने वादे पूरे करने का आखिरी मौका है. कांग्रेस सरकार 6 मार्च को बजट पेश करने जा रही है. इसलिए प्रदेशभर से आंदोलनकर्मी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं.

बजट से पहले आन्दोलनकर्मियों का आक्रोश

दरअसल, राज्य के लाखों अनियमित कर्मचारी लंबे समय से हड़ताल कर रहे हैं. पिछले 40 दिन से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी बूढ़ा तालाब पर डटे हुए हैं.

अब स्कूल रसोइया संघ ने भी मोर्चा खोल दिया है. हजारों महिलाएं 28 जिलों से पैदल मार्च कर शुक्रवार को राजधानी रायपुर पहुंच रही हैं.

नया रायपुर स्थित तूता धरना स्थल पर वादा याद दिलाने के लिए विधानसभा का घेराव किया जाएगा. इस रैली को लेकर पुलिस प्रशासन की गतिविधियां तेज हो गई हैं.

29 लाख बच्चो के लिए 87 हजार रसोइया

मिड-डे मील योजना अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रदेश 33 जिलों के 146 विकासखंडों में संचालित 45 हजार 610 स्कूलों में पढ़ाई कर रहे 29 लाख 93 हजार 170 छात्रों के लिए 87 हजार 26 रसोइया भोजन बनाने का काम करते है.

लेकिन रसोइया और रसोइया सह सहायिका का मानदेय वर्तमान में 1500 प्रतिमाह है. हर वित्तीय वर्ष में केवल 10 माह के लिए ही दिया जाता है.

रसोईया संघ का आज विधानसभा घेराव

मध्यान्न भोजन रसोइया महासंघ की अध्यक्ष नीलू ओगरे ने कांग्रेस सरकार को वादा याद दिलाते हुए कहा कि हर महीने 1500 मानदेय अत्यंत कम है,

जिससे रसोइया और रसोइया सह सहायिका को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है. मानदेय में वृद्धि के लिए आवेदन-निवेदन किया गया लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है,

जिससे हम व्यथित और आक्रोशित हैं. नीलू ओगरे ने ये भी बताया कि सरकार के जनघोषणा-पत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्कूल के अन्य कर्मचारियों को कलेक्टर दर के अनुसार वेतन दिए जाना उल्लेख है.

एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल पर

इसके अलावा वेतन वृद्धि की मांग करते हुए राज्य के 50 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र और मिनी आंगनबाड़ी के एक लाख कार्यकर्ता और सहयिका पिछले 40 दिनों से हड़ताल पर हैं.

अपने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं. इनकी उम्मीदें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बजट पर टिकी है.

रायपुर धरना स्थल पर सैकड़ों महिलाएं सुबह से शाम तेज धूप में धरना देकर सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही हैं.

पांच लाख अनियमित कर्मचारी सरकार से नाराज

इसी तरह छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा भी कांग्रेस सरकार के अंतिम बजट पर नजरें गड़ाए बैठे हुए है.

राज्य में संविदा, दैनिक वेतन भोगी, प्लेसमेंट, मानदेय, अंशकालिक, जॉबदर और ठेका के कुल मिलाकर 5 लाख से अधिक कर्मचारी हैं.

ये सभी अनियमित कर्मचारी हैं. अनियमित कर्मचारी के प्रदेश प्रमुख गोपाल प्रसाद साहू ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने अपने जन-घोषणा (वचन) पत्र में बिंदु क्रमांक 11 और 30 में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण करने, छंटनी न करने और आउट सोर्सिंग बंद करने का वादा किया था. जो 4 साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है.

2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कितना नुकसान?

इस मामले में राजनीतिक पंडितों का कहना है कि 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के जीत के पीछे कांग्रेस के वचन-पत्र यानी घोषणा-पत्र की अहम भूमिका रही है.

क्योंकि तत्कालीन पीसीसी चीफ भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव ने घोषणा पत्र में उन सभी समस्याओं को ग्राउंड में जाकर समझा था.

इसके बाद अपने घोषणा पत्र में इन सभी मुद्दों को कांग्रेस ने रखा. इसके बाद राज्य में कांग्रेस पार्टी ने 15 साल बाद रिकॉर्ड जीत दर्ज की.

लेकिन आज वहीं वर्ग फिर सड़कों पर है और सामने विधानसभा चुनाव है तो इसका कांग्रेस पार्टी चुनावी अभियान पर असर पड़ सकता है.

हालाकि कोई खास नुकसान नहीं होगा. क्योंकि कांग्रेस ने राज्य के किसानों को पकड़ कर रखा है. ये कांग्रेस के सबसे बड़े वोटर हैं.