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पाकिस्तान आतंकियों की शरणस्थली, भारत में दहशत फैलाने वाले कुछ प्रमुख आतंकी संगठन

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हाल ही में भारत के लोकप्रिय गीतकार, फिल्म लेखक और शायर जावेद अख्तर ने जब पाकिस्तान में वहां के लोगों के सामने यह कहा कि भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी खुलेआम घूम रहे हैं, तो लोगों ने जोरदार तालियों के साथ उनका समर्थन किया.

इसकी वजह यह है कि आम पाकिस्तानी भी चरमपंथी और आतंकी गिरोहों से परेशान हो चुके हैं. फिर भी पाकिस्तान का राजनीतिक और सैनिक नेतृत्व आंख बंद किये हुए है.

बीते सप्ताह शासन ने एक आदेश जारी कर मीडिया को आतंकी हमलों की कवरेज न करने की हिदायत दे दी है. पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के बेबुनियाद आरोपों के जवाब में भारत ने फिर कहा कि पाकिस्तान आतंकियों को शह देता रहा है.

आतंकवाद को मिलने वाले वित्तीय सहयोग पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने कुछ दिन पहले ही यह घोषणा की है कि वह पाकिस्तान पर नजर बनाये हुए है.

पाकिस्तान के वर्तमान राजनीतिक और आर्थिक संकट ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान आतंक को संरक्षण देने की उसकी स्थायी नीति की ओर खींचा है.

अनेक अध्ययनों ने यह रेखांकित किया है कि घरेलू राजनीति और विदेश नीति में आतंकी गिरोहों को प्रश्रय देने के रवैये ने आज पाकिस्तान को कंगाली और दिवालियेपन के मुहाने पर ला खड़ा किया है.

पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी गिरोहों और सरगनाओं पर केंद्रित आज की प्रस्तुति..

पाकिस्तान की माली हालत खस्ता है, महंगाई चरम पर है और लोग भुखमरी का शिकार हैं. पर आतंकियों की मेहमानवाजी में यहां के राजनेता कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

आतंकी समूहों व आतंकियों की शरणस्थली होने के कारण ही पेरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, यानी एफएटीएफ ने पाकिस्तान को लंबे समय तक ग्रे सूची में डाले रखा था.

एफएटीएफ द्वारा दिये गये कार्य योजनाओं में से अनेक के संतोषजनक पाये जाने के बाद बीते अक्तूबर ही पाकिस्तान ग्रे सूची से बाहर आया है. पर लगता है जैसे यहां के राजनेताओं को देश की कोई फिक्र नहीं है.

हाल ही में यहां वैश्विक आतंकी घोषित हाफिज सईद और उसके बाद सैयद सलाहुद्दीन खुलेआम घूमते दिखाई दिये हैं. उन पर लगाम लगाने की बात झूठी साबित हुई है. यह बात हर भारतीय को बुरी लगी है.

इस बीच 17 से 19 फरवरी तक लाहौर में आयोजित फैज फेस्टिवल में शिरकत करने मशहूर गीतकार जावेद अख्तर भी लाहौर पहुंचे थे. वहां उन्होंने पाकिस्तानियों को उनकी करतूत का आईना दिखाया.

जावेद अख्तर ने बिना लाग-लपेट स्पष्ट शब्दों में कहा कि आपके यहां अब भी 26/11 के हमलावर खुलेआम घूम रहे हैं. अख्तर के बयान से एक बार फिर पाकिस्तानी आतंकी संगठनों और वहां पनाह लिए हुए अति वांछित (मोस्ट वांटेड) आतंकियो की चर्चा गर्म हो गयी है.

40 से अधिक आतंकी समूह सक्रिय हैं पाकिस्तान में

पाकिस्तान आतंक का गढ़ होने के साथ ही आतंकी संगठनों का पनाहगाह भी है. वर्तमान में इस देश में 40 से अधिक आतंकी संगठन सक्रिय हैं.

जिनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, हिजबुल मुजाहिदीन, हरकल-उल-मुजाहिदीन (पूर्व में हरकत-उल-अंसार), लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-जब्बार, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी, अल बद्र, जमियत-उल-मुजाहिदीन, मुत्ताहिदा जिहाद काउंसिल, अल बर्क, तहरीक-उल-मुजाहिदीन, जम्मू व कश्मीर नेशनल लिबरेशन आर्मी, पीपुल्स लीग, मुस्लिम जनाब फोर्स, कश्मीर जिहाद फोर्स, अल जिहाद फोर्स, अल उमर मुजाहिदीन, महज-ए-आजादी, इस्लामी जमाते तुलिबा, जम्मू व कश्मीर स्टूडेंट्स लिबरेशन फ्रंट, इख्वान-अल-मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग, तहरीक-ए-हुर्रियत-ए-कश्मीर, मुस्लिम मुजाहिदीन, अल मुजाहिद फोर्स, बलूच रिपब्लिकन आर्मी, जमात-अल-अजहर, लश्कर-ए-इस्लाम, हक्कानी नेटवर्क, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, हिज्ब-उल-तहरीर, तारिक गिदर ग्रुप, जमात-उल-दवा अल-कुरान, यूनाइटेड बलूच आर्मी, तंजीम-उल-इस्लामी-उल-फुरकान, बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स, बलूच लिबरेशन यूनाइटेड फ्रंट, लश्कर-ए-जब्बार, सिंधुदेश लिबरेशन आर्मी, सुन्नी तहरीक आदि शामिल हैं.

  • भारत को रक्तरंजित करने वाले कुछ प्रमुख आतंकी संगठन
  • हरकत-उल-जेहाद-अल-इस्लामी

यह आतंकी समूह 1980 में अफगानिस्तान में अस्तित्व में आया. इसे बनाने का उद्देश्य सोवियत सेना से लड़ना था. वर्ष 1989 के बाद इस आतंकी संगठन ने पाकिस्तानी आतंकी समूह हरकत-उल-मुजाहिदीन के साथ मिलकर हरकत-उल-अंसार का गठन किया और जम्मू व कश्मीर में आतंकी गतिविधियां संचालित करने लगा.

इसने अफगान तालिबान को भी अपने लड़ाके भेजे. वर्ष 2001 में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का ऑपरेशन शुरू होने के बाद इसके अधिकांश नेताओं ने पाकिस्तान के फाटा में शरण ले ली.

वर्ष 2010 में हूजी को विदेशी आतंकी संगठन, यानी एफटीओ घोषित कर दिया गया. यूएपीए के तहत भारत में भी यह संगठन प्रतिबंधित है.

यह संगठन अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. यह 2007 में उत्तर प्रदेश के अदालत परिसर व राजस्थान स्थित अजमेर शरीफ दरगाह में बम विस्फोट के लिए जिम्मेदार है.

इतना ही नहीं, 2007 के मई और अगस्त में इस संगठन से जुड़े आतंकियों ने हैदराबाद और आंध्र प्रदेश को बम विस्फोटों से दहला दिया था. इसका उद्देश्य कश्मीर को भारत से अलग कर उसका पाकिस्तान में विलय कराना है. इसके तार अल कायदा, तालिबान और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं.

  • लश्कर-ए-तैयबा

वर्ष 1980 के दशक के अंत में हाफिज मुहम्मद सईद ने अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना की थी.

आज भी वही इसका प्रमुख है. लाहौर के नजदीक मुरीदके से यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों का संचालन करता है. इस संगठन के प्रशिक्षण केंद्र पाकिस्तान के पंजाब समेत पीओके में फैले हैं.

वर्ष 2001 में जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर इसने भारतीय संसद भवन पर हमला किया था. इतना ही नहीं, इस समूह ने नवंबर 2008 में मुंबई हमले को अंजाम दिया था.

इस संगठन ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले के साथ ही नयी दिल्ली, बेंगलुरु, वाराणसी, कोलकाता, गुजरात आदि शहरों में भी हमले किये हैं. वर्तमान में इस संगठन में 750 से अधिक कैडर हैं.

वर्ष 2001 में इसे विदेशी आतंकी संगठन नामित किया जा चुका है. भारत में भी यूएपीए के तहत इस संगठन पर प्रतिबंध है.

  • जैश-ए-मोहम्मद

इस आतंकी समूह की स्थापना जनवरी 2000 में कश्मीरी आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर ने कराची में की थी. यह समूह जम्मू-कश्मीर में चल रही आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त रहता है.

यह संगठन अक्तूबर 2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा परिसर, दिसंबर 2001 में भारतीय संसद, जनवरी 2016 में पठानकोट, फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले का जिम्मेदार है.

यह समूह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और पीओके दोनों जगह से अपनी गतिविधियों का संचालन करता है. अन्य आतंकी संगठनों से अलग यह फिदायीन यानी आत्मघाती हमला करता है. जैश के सैकड़ों लड़ाके भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय हैं.

जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अन्य आतंकी समूहों की तरह इसका भी उद्देश्य जम्मू-कश्मीर से सुरक्षाबलों की वापसी है. अक्तूबर 2001 में इस संगठन को यूएपीए के तहत भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया. दिसंबर 2001 में इसे विदेशी आतंकी संगठन नामित किया गया.

  • हरकत-उल-मुजाहिदीन

इस संगठन का गठन वास्तव में 1985 में अफगानिस्तान में सोवियत बलों के खिलाफ जिहाद के लिए हुआ था. वर्ष 1989 में अफगानिस्तान से सोवियल बलों की वापस के बाद इसने अपना रुख जम्मू-कश्मीर की ओर कर लिया.

हालांकि 1993 में इसने पाकिस्तानी आतंकी समूह हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी के साथ मिलकर हरकत-उल-अंसार बनाया, जिसका सरगना मौलाना सादतुल्लाह खान था.

वर्ष 1997 में अमेरिका ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया. अमेरिकी प्रतिबंध से बचने के लिए हरकत-उल-अंसार ने अपना नाम बदलकर फिर से हरकत-उल-मुजाहिदीन कर लिया.

यह समूह पीओके और पाकिस्तान के कुछ शहरों से अपनी आतंकी गतिविधियां संचालित करता था. दिसंबर 1999 में इस संगठन से जुड़े आतंकवादी इंडियन एयरलाइन के विमान आईसी 814 को काठमांडू से अपहृत कर जबरन कंधार ले गये थे.

तालिबान की मदद से आतंकी भारतीय जेल में बंद मौलाना मसूद अजहर, उमर सईद शेख, मुश्ताक अहमद जरगर जैसे आतंकियों को रिहा कराने में सफल रहे.

इसके बाद ही मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद बनाया. पर जैश के बनने के बाद यह संगठन कमजोर हो गया. यूएपीए के तहत देश में यह आतंकी संगठन प्रतिबंधित है.

  • हिजबुल मुजाहिदीन

सितंबर 1989 में मास्टर अहसान डार ने कश्मीर घाटी में इस आतंकी समूह की स्थापना की थी. जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां संचालित करने वाला यह सबसे पुराना और बड़ा आतंकी समूह है.

पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में इस समूह का मुख्यालय है. इसका मुखिया सैयद सलाहुद्दीन है. एक अनुमान के अनुसार, इस संगठन में कम से कम 1500 कैडर हैं जो मुख्य रूप से कश्मीरी मूल के हैं.

इनका उद्देश्य कश्मीर की आजादी है. बेशक इस संगठन का मुख्यालय पीओके में है, पर इसे पैसे और दूसरे संसाधन पाकिस्तान ही मुहैया कराता है.

इसकी आतंकी गतिविधियों को देखते हुए 2017 में इसे विदेशी आतंकी संगठन (फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन) घोषित कर दिया गया.

भारत सरकार ने भी इसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया हुआ है.

  • पाकिस्तान के सक्रिय घरेलू आतंकी संगठन
  • तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान

वर्ष 2007 में गठित इस आतंकी समूह को आमतौर पर पाकिस्तानी तालिबान के नाम से जाना जाता है. इसकी आतंकी गतिविधियों के कारण 2010 में इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है.

तीन से पांच हजार लड़ाके वाले इस समूह में बड़े पैमाने पर जातीय पश्तून शामिल हैं.

नौ सितंबर, 2011 को ट्रेड टावर पर हुए हमले के बाद नाटो द्वारा अफगानिस्तान में ऑपरेशन किये जाने के प्रतिक्रियास्वरूप तहरीक-ए-तालिबान का गठन हुआ.

बैतुल्लाह महसूद के नेतृत्व में 13 चरमपंथी समूहों द्वारा पाकिस्तान के फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरिया (फाटा) में इसकी स्थापना हुई. इस समूह का उद्देश्य पाकिस्तान सरकार को हटा वहां शरिया कानून लागू करना है.

  • बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी

यह समूह बलूचिस्तान में सक्रिय है और इसमें एक हजार के करीब सशस्त्र जातीय बलूच अलगाववादी शामिल हैं. वर्ष 2019 में स्टेट डिपार्टमेंट ने इसे विशिष्ट नामित वैश्विक आतंकवादी करार दिया था.

  • लश्कर-ए-झांगवी

इस सुन्नी-देवबंदी आतंकी समूह की स्थापना 1996 में सिपाह-ए-सहाबा के टूटने से हुई थी. वर्ष 2013 में इसे विदेश आतंकी संगठन नामित किया गया.

यह समूह मुख्य तौर पर फाटा, पंजाब, बलूचिस्तान व कराची के साथ अफगानिस्तान में भी सक्रिय है. माना जाता है कि इस समूह का अल कायदा और टीटीपी के साथ नजदीकी रिश्ता है.

  • सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान

सुन्नी समुदाय के इस आतंकी संगठन को पहले अंजुमन सिपाह-ए-सहाबा के नाम से जाना जाता था. वर्ष 1985 में स्थापित यह संगठन कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहा है और इसका प्राथमिक लक्ष्य शिया समुदाय को निशाना बनाना रहा है. इसका गठन मौलाना हक नवाज झांगवी, मौलाना जिया-उर-रहमान फारुकी, मौलाना ऐसार-उल-हक कासमी और मौलाना आजम तारिक ने किया था. इस समूह में तीन से छह हजार लड़ाके हैं जो मुख्यत: फाटा, पंजाब और कराची में आतंकी गतिविधियां संचालित करते हैं.

  • पाकिस्तान में रह रहे अति वांछित वैश्विक आतंकी
  • हाफिज सईद : वर्ष 2008 के 26 नवंबर को मुंबई पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था. पाकिस्तानी आतंकी समुद्री रास्ते से मुंबई में घुस आये थे. इन अपराधियों ने रेलवे स्टेशन, कैफे, ताज व ओबेराय होटल, अस्पताल, यहूदी सेंटर नरीमन हाउस आदि को गोलियां का निशाना बनाया था. इस हमले में 166 लोग मारे गये थे. अजमल कसाब को छोड़ सभी नौ आतंकी भी ढेर कर दिये गये थे. इस हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद था. मुंबई हमलों को अंजाम देने के कारण अमेरिका ने हाफिज सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा, वहीं संयुक्त राष्ट्र ने उसे वैश्विक आतंकी सूची में डाल दिया. भारत ने भी हाफिज को आतंकी घोषित किया हुआ है. एनआइए की अति वांछित सूची में हाफिज का नाम शामिल है. हाफिज लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दवा का प्रमुख है. एफएटीएफ की काली सूची से बचने के लिए पाकिस्तान की अदालत ने उसे 31 वर्ष की सजा सुनाई थी. हालांकि अभी भी वह पाकिस्तान में घूमता नजर आता रहता है.
  • मौलाना मसूद अजहर : यह आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख है. दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले समेत भारत में हुए कई आतंकी हमलों में मसूद का हाथ सामने आया है. मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे वैश्विक आतंकी घोषित किया था. फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद भारत ने बालाकोट में जैश के ठिकाने पर हवाई हमला कर इसके शिविर नष्ट कर दिये थे.
  • सैयद सलाहुद्दीन : आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन को अमेरिका ने वैश्विक आतंकी सूची में डाल रखा है. पिछले दिनों इसे रावलपिंडी में मारे गये अति वांछित आतंकी बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज आलम के जनाजे में देखा गया था. इम्तियाज आलम को यूएपीए के तहत भारत में आतंकी घोषित किया गया था.
  • दाऊद इब्राहिम : मुंबई में जन्मा दाऊद इब्राहिम भी भारत के अति वांछित, यानी मोस्ट वांटेड आतंकी सूची में शामिल है. वर्ष 1993 में मुंबई में हुए शृंखलाबद्ध बम धमाकों के बाद यह भारत से भागकर पाकिस्तान चला गया. वर्तमान में यह कराची में रहता है. मुंबई धमाकों का मास्टरमाइंड दाऊद ही था. उन धमाकों में ढाई सौ से अधिक लोग मारे गये थे. संयुक्त राष्ट्र ने 2003 में उसे वैश्विक आतंकी सूची में डाला था. वर्ष 2020 में पाकिस्तान ने स्वीकार किया था कि दाऊद कराची में रहता है, पर अगले ही दिन वह अपनी बातों से पलट गया.
  • जकी-उर रहमान लखवी : यह लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर और संस्थापक सदस्य रहा है. मुंबई हमलों की साजिश रचने में यह भी शामिल था. संयुक्त राष्ट्र ने 2008 में इसे वैश्विक आतंकी माना था. यह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रहता है.

इन सभी अति वांछित आतंकियों के अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकी सूची में शामिल अब्दुल रहमान मक्की पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके और वैश्विक आतंकी घोषित जफर इकबाल लाहौर में रहता है. ये महज कुछ उदाहरण हैं. ऐसे अनेक आतंकी पाकिस्तान की सरजमीं से नापाक गतिविधियां चलाते रहते हैं.