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विशेष : मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना से दूर हुई चिंता, दुर्लभ बीमारियों से मिल रही निजात

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राज्य के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में होने वाले व्यय से गरीब परिवार को बचाने के लिए राज्य शासन द्वारा संजीवनी सहायता कोष का विस्तार करते हुए प्रारंभ होने वाली मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत चिन्हित दुर्लभ बीमारियों के लिए राज्य के पात्र परिवारों को अधिकतम 20 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है. छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य है, जो इतनी बड़ी राशि अपने राज्य के नागरिकों के इलाज के लिए प्रदान कर रहा है, जिससे स्वस्थ एवं बेहतर छत्तीसगढ़ का निर्माण किया जा सके.

छत्तीसगढ़ सरकार की अद्यतन सूची के आधार पर प्राथमिकता और अंत्योदय राशन कार्डधारी परिवार को इस योजना की पात्रता होगी. मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजनांतर्गत सहायता राज्य और राज्य के बाहर के पंजीकृत चिकित्सालय में इलाज कराने पर ही दी जाएगी. राज्य और राज्य के बाहर के सभी सरकारी चिकित्सालय, राज्य और राज्य के बाहर स्थित पंजीकृत निजी चिकित्सालय, सी.जी.एच.एस. के अतंर्गत पंजीकृत चिकित्सालय में इलाज किया जाएगा.

गंभीर रोग से पीड़ित गरीब हताश न हो, अपनी दुख पीड़ा सरकार से कहो

इस योजना के अंतर्गत लीवर प्रत्यारोपण, किडनी प्रत्यारोपण, फेफडों का प्रत्यारोपण, हृदय और फेफडों प्रत्यारोपण, हृदय रोग, हीमोफीलिया और फैक्टर और सर्जरी,ट्रामा, अति रक्त्राव की स्थिति में जिनका इलाज राज्य की अन्य योजनाओं में उपलब्ध ना हो या राशि समाप्त हो चुकी हो. कैंसर जिनका इलाज राज्य की अन्य योजनाओ मे उपलब्ध ना हो या राशि समाप्त हो चुकी हो , एप्लास्टिक अनीमिया जिनका इलाज राज्य की अन्य योजनाओ मे उपलब्ध ना हो या राशि समाप्त हो चुकी हो. कॉक्लीयर इम्प्लांट (7 साल तक के बच्चो के लिए) मात्र शासकीय चिकित्सालय में उपचार के लिए एसिड अटैक विक्टिम्स मात्र शासकीय चिकित्सालय में उपचार के लिए) , विभिन्न प्रकार के विशेष बिमारियों जिनका इलाज राज्य की अन्य योजनाओं में उपलब्ध ना हो और उपचार के लिए प्राप्त आवेदन के लिए विशेष समिति द्वारा अनुशंसा अनिवार्य होगी.

निर्धारित बीमारियों की सूची में राज्य शासन द्वारा उपरोक्त तकनीकी समिति की अनुशंसा से आवश्कतानुसार संशोधन किया जा सकता है. निर्धारित सूची में दर्ज चिकित्सा सेवाओं में से किसी भी सेवा के लिए शासकीय मेडिकल कॉलेज चिकित्सालयों से रेफरल अनिवार्य होगा. राज्य नोडल एजेंसी द्वारा समय-समय पर इन सेवाओं को शासकीय संस्थाओं के लिए भी आरक्षित किया जा सकता है. अंग प्रत्यारोपण के प्रकरणों के लिए प्रत्यारोपण के संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार और शासन के अन्य नियमों अनुसार समस्त निर्धारित अनापत्ति प्रमाण पत्र, दस्तावेज की उपलब्धता अनिवार्य होगी.

स्वास्थ्य योजना और स्वेच्छानुदान से नेहल को मिली जिंदगी

व्याधिग्रस्त गरीब चेहरे पर मुस्कान बिखेरने वाली इस योजना से लाभान्वित परिवार की सूची धीरे-धीरे लंबी होती चली जा रही है. इसी तारतम्य में मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना और स्वेच्छानुदान से नेहल को ब्रेन कैंसर के इलाज के लिए 25 लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की गई. गंभीर बिमारिया परिवार के मुखिया की कमर और हंसता-हंसाता घर तोड़ के रख देता है. यदि ये विपदा किसी गरीब परिवार के उपर उतरे तो परिस्थिति और भी दयनीय हो जाती है. ये वो घड़ी होती है जब अपने भी नजरें चुराने लगते हैं कोई आस-पास भी फटकना नहीं चाहता ऐसे में छत्तीसगढ़ में एक व्यक्ति अपनी जीवन रक्षक योजना के साथ सम्मुख खड़ा होने का माद्दा रखता है वो हैं राज्य के मुखिया भूपेश बघेल. 10 जनवरी 2020 को मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना की नींव रखी गई. जिससे गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को आर्थिक समस्या से बचा कर उनको बेहतर उपचार प्रदान किया जा सके.

इसी तारतम्य में इस योजना की सार्थकता को साबित करने वाली एक घटना का जिक्र यहां प्रासंगिक होगा. विकासखण्ड कोण्डागांव के सम्बलपुर निवासी छोटे से किसान गिरजानंद पटेल की है. 9 वर्षीय बेटी नन्ही नेहल पटेल जब वर्ष 2019 में चौथी कक्षा में अपने नाना-नानी के साथ रह कर जगदलपुर में पढ़ रही थी, तब अचानक उसकी तबियत खराब रहने लगी. उसे कक्षा में उल्टियां होने के साथ तेज बुखार भी आने लगा. जिसे शिक्षक सामान्य बुखार समझकर दवाईयां दे दिया करते थे. जिससे उसे तात्कालिक राहत तो मिल जाती थी, लेकिन बहुत दिनों तक बने रहने वाले इस क्रम से परेशान होकर नेहल के नाना-नानी जो 17 जून 2019 को विशाखापट्टनम घूमने जा रहे थे, वहां नेहल की जांच किसी निजी अस्पताल में करवाई. जहां डॉक्टरों द्वारा दिमाग में ट्यूमर होने की बात कहते हुए प्रारंभिक जांच कर उसका इलाज किया. इसके बाद नेहल को कुछ दिनों बाद फिर से तकलीफ होनी शुरू हो गई. दर्द इतना कि पढ़ाई करना भी मुश्किल था, दिन रात दर्द में तड़पती नेहल और उनके परिजनों को कुछ भी सुझ नहीं रहा था. हालत बिगड़ते-बिगड़ते ऐसी परिस्थिति भी आ गई कि नेहल चलने फिरने में भी असमर्थ हो गयी. नेहल की ऐसी दशा देख उसके पिता ने डॉक्टरों की सलाह पर वर्ष 2020 में नेहल की जांच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ;एम्सद्ध रायपुर में कराई.

एम्स के चिकित्सकों द्वारा जांच के बाद दिमाग में ट्यूमर के स्थान पर ब्रेन कैंसर की पुष्टि कर दी. परिजनों के द्वारा पूछे जाने पर डॉक्टरों ने बताया कि नेहल कैंसर के चौथे स्टेज में है और कैंसर सिर से होते हुए मेरूरज्जू (spinal cord) तक फैल चुका है. एम्स में डेढ़ साल तक नेहल का उपचार चलता रहा लेकिन नेहल की हालत को ना सुधरता देख डॉक्टरों ने चेन्नई स्थित एक निजी अस्पताल में इसका इलाज संभव होने की जानकारी परिजनों को दी. इलाज में बहुत अधिक खर्च होने की बात जानकर परिजनों ने नेहल को बचा पाने की अपनी उम्मीद भी खो दी थी.

ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना अंतर्गत 20 लाख रुपये तक स्वास्थ्य उपचार के लिए सहायता प्राप्त होने के संबंध में जानकारी दी गयी. इस योजना की सहायता से मुग्ध नेहल के परिवार में जैसे किसी नए सूरज का उदय हुआ जैसे आशा की बुझती किरण फिर चमक उठी. मार्च 2022 में ग्राम के जनप्रतिनिधि बुधराम नेताम द्वारा उन्हें योजना का लाभ लेने लेने में सहायता करते हुए जगदलपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जाने के संबंध में जानकारी दी और कहा कि वे मुख्यमंत्री से सहायता के लिए अपील करें. 26 मई 2022 को जगदलपुर में नेहल के पिता द्वारा मुख्यमंत्री से सहायता की अपील की, कुछ दुवाओं में असर था और कुछ मुख्यमंत्री का मन स्नेहिल. मुख्यमंत्री द्वारा संवेदनशीलता पूर्वक जल्द से जल्द नेहल की सहायता के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया. जिस पर तत्परता दिखाते हुए अगले ही दिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के दल द्वारा नेहल के घर पहुंच कर स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट तैयार की. 04 जून को लिमदरहा में अपने कार्यक्रम के दौरान कोण्डागांव विधायक मोहन मरकाम के द्वारा नेहल की चर्चा पर मुख्यमंत्री ने तुंरत राशि जारी कर नेहल का उपचार प्रारंभ करवाने के निर्देश दिये. जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए 06 जून को अधिकारियों द्वारा विभागीय कार्यवाही पूर्ण कर 20 लाख रुपये नेहल के पिता के खाते में अंतरित कर दिये गये.

फिर क्या था राशि प्राप्त होते ही नेहल के पिता उसे लेकर चेन्नई पहुंचे. जहां प्रारंभिक जांच के बाद डॉक्टरों द्वारा 28 लाख रुपयों के खर्च होने की बात बताई, जिस पर पुनः नेहल के परिजन 8 लाख रुपयों की कमी को लेकर चिन्तित हो गये. परिजनों ने जैसे-तैसे कर कुछ रुपये जोड़े जो फिर भी पूरे नहीं थे. तब उन्होंने प्रतिनिधि के माध्यम से पुनः मुख्यमंत्री से सहायता की गुहार लगायी. जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा स्वेच्छानुदान से नेहल की सहायता के लिए 05 लाख रुपयों की अतिरिक्त सहायता परिजनों को दी. जिससे परिजनों की चिन्ता दूर हुई. इसके बाद 35 दिन लम्बे चले इलाज के बाद नेहल ने अंततः तीन वर्षों बाद कैंसर को हरा दिया और अब वो पूरी तरह स्वस्थ हो गयी है. स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों के द्वारा नेहल के लिए ऑनलाइन कक्षाओं का प्रबंध करके दिया गया. नेहल अब घर में रहकर अपनी पढ़ाई जारी रख पा रही है.

नेहल और उसके परिजनों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इलाज में इस उदारता पूर्वक सहायता के लिए तहे दिल से धन्यवाद देते नहीं अघा रहे नेहल के पिता गिरजानंद ने नम आंखों से कहा कि अगर मुख्यमंत्री से सहायता राशि न मिलती तो शायद आज नेहल इस दुनिया में न होती. उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए बताया कि नेहल को जब से मुख्यमंत्री द्वारा प्राप्त सहायता के बारे में जानकारी मिली है, वह स्वयं मिलकर उनका आभार व्यक्त करना चाहती है. बच्ची की ऐसी मंशा स्वाभाविक है मगर हमारे मुख्य मंत्री भूपेश बघेल जिनकी नजरे मौत से जूझती किसी दूसरी नेहल की जान बचाने में उलझी हो वो भला अपनी जय-जयकार सुनने को कैसे समय निकाल सकते हैं.

जैसा घर का मुखिया, वैसी घर की सोच

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ये अभिनव योजना से गरीबों केा मिलने वाली स्वास्थ्य सहायता ने एक योजना की शुरुआत की है. जिससे गरीबों को स्वास्थ्य सहायता मिलेगी. राज्य सरकार गरीबों के लिए कई प्रकार की योजनाएं लागू करते हैं जिससे गरीबों को आर्थिक सहायता मिलती है. उसी प्रकार इस योजना के माध्यम से असहाय गरीब परिवारों को विशेष सहायता प्रदान किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना 2022 बीपीएल वालों को स्वास्थ्य संबंधी लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किया है. जो परिवार गरीब और असहाय है, उनका इलाज मुफ्त में इस योजना के माध्यम से किया जा रहा है.