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Tara Taran Attack: कनाडा, यूरोप से रची गई तरनतारन हमले की साजिश, गिरफ्तार नाबालिगों को लेकर हुआ ये खुलासा

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Tara Taran Attack: पंजाब पुलिस ने तरनतारन में थाने पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) हमला मामले में दो नाबालिग समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही पंजाब पुलिस ने विदेश से चलाए जा रहे आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है.

पुलिस ने तरनतारन आरपीजी हमले के मामले को एक हफ्ते से भी कम समय में सुलझा लिया है.

विदेश से रची गई थी हमले की साजिश

पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने बताया कि इस आतंकी हमले की साजिश विदेश में रहने वाले वांछित आतंकवादी लखबीर सिंह उर्फ लंडा हरीके, सतबीर सिंह उर्फ सत्ता और गुरदेव उर्फ जैसल द्वारा गोइन्दवाल साहिब जेल में बंद अजमीत सिंह की मदद से रची गई थी. बड़ी बात यह है कि आरपीजी चलाने की ट्रेनिंग यूट्यूब वीडियो से ली गई थी. हमले के लिए नाबालिगों को इस्तेमाल किया गया था. आरोपी बालिग की उम्र भी महज 18 से 21 साल के बीच है.

जानिए क्या था हमले के पीछे का मकसद

पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने बताया कि पूछताछ के दौरान गोपी नंबरदार और गुरलाल गहला ने खुलासा किया कि लंडा और सत्ता ने दो नाबालिग सदस्यों को पुलिस थाना सरहाली पर हमले को अंजाम देने का जिम्मा सौंपा था. हमले का उद्देश्य सरहदी राज्य में दहशत पैदा करना था. दोनों ने साथ ही खुलासा किया कि एक अन्य गुरलाल लाली ने पुलिस स्टेशन की इमारत पर हमले से कुछ घंटे पहले गांव मरहाना में रुके हुए दोनों नाबालिग सदस्यों को लॉजिस्टिक सहायता और एक लाख रुपये मुहैया करवाए.

यूट्यूब पर वीडियो देख आरपीजी ऑपरेट करना सीखा

जिन दो नाबालिगों को हमले का काम सौंपा गया था, उन्हें मिशन के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई थी. उन्हें लंडा और सत्ता ने थाने पर हमले का टास्क दिया था. जिससे आतंक फैलाई जा सके. नाबालिगों को आरपीजी चलाना नहीं आता था. उन्हें लंडा ने वीडियो कॉल से इसे ऑपरेट करना बताया. लेकिन, नाबालिगों को समझ नहीं आया. उसके बाद उन्होंने यूट्यूब वीडियो से आरपीजी हमला कैसे करते हैं, सर्च करके वीडियो देखा और फिर आरपीजी ऑपरेट करना सीखा.

सामने आई ये जानकारी

पुलिस की टीम ने गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के कब्जे से गोली-बारूद समेत दो .32 बोर और एक .30 बोर पिस्टल, एक हैंड ग्रेनेड पी-86 और अपराध में इस्तेमाल किया गया मोटरसाइकल भी बरामद किया है. हमले को अंजाम देने के लिए सोवियत युग के 70 एमएम बोर के आरपीजी-26 हथियार का प्रयोग किया गया था. आरपीजी-26 हथियार का प्रयोग अफगानिस्तान में मुजाहिदीन करते थे. इसे सरहद पार से मंगवाया गया था.