छत्तीसगढ़ में आरक्षण के रण में अब अनुसूचित जाति भी कूद पड़ा है। अनुसूचित जाति के लोगों ने शुक्रवार को भानुप्रतापपुर में बड़ी रैली कर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। अनुसूचित जाति ने पहले निर्धारित 16% आरक्षण देने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, साथ ही मांगें नहीं माने जाने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
अनुसूचित जाति को प्रदेश सरकार के अध्यादेश में 13 प्रतिशत आरक्षण दर्शाया गया है। इसके पहले उनका आरक्षण 16 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किया गया था। अनुसूचित जाति ने अध्यादेश में सिर्फ 1 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाए जाने पर एतराज जताते हुए 16 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की है। अनुसूचित जाति के नेता वरुण खापर्डे ने कहा कि उनके साथ हो रहे भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण देना होगा।
भानुप्रतापपुर में रैली में शामिल होते लोग।
नए अध्यादेश में किसे कितना आरक्षण
प्रदेश सरकार ने 2 दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण विधेयक पारित किया था, जिसमें अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, ओबीसी को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और गरीब स्वर्ण को 4 प्रतिशत आरक्षण देने की बात है। वर्तमान में बिल राज्यपाल अनुसुइया उइके के पास लंबित है। उनके हस्ताक्षर के बाद ही विधेयक कानून बन पाएगा।
सर्व अनुसूचित जाति वर्ग का प्रदर्शन।
आरक्षण के मुद्दे पर भड़के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
इधर राज्यपाल ने 14 दिन बीत जाने के बाद भी आरक्षण के विधानसभा से पारित प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस पर अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल अनुसुइया उइके की ओर से पहले कहा गया था कि वे फौरन हस्ताक्षर करेंगी। अब स्टैंड बदला जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी आपत्ति दर्ज कराई है कि विधानसभा से पारित किए जाने के बाद भी प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
अनुसूचित जाति के प्रदर्शन में शामिल होती महिलाएं।
CM ने तीखे अंदाज में कहा कि विधानसभा से पारित होने के बाद किसी विभाग से जानकारी नहीं लनी जाती। भाजपा के लोगों के इशारों पर राजभवन का खेल हो रहा है। राज्यपाल की ओर से स्टैंड बदलता जा रहा है। फिर कहती हैं कि केवल आदिवासियों के लिए बोली थी, आरक्षण सिर्फ उनका नहीं सभी वर्गों का है। आरक्षण की पूरी प्रक्रिया होती है।