रतलाम जिले के ढिकवा गांव के रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट कैलाश नेहरा ने अपने गांव की बेटियों को आर्थिक संरक्षण देने के लिए गोद लिया है। वे इनकी पढ़ाई से लेकर शादी तक का पूरा खर्च उठाएंगे। 20 साल पहले सीए बनने के बाद वह इंदौर बस गए थे, लेकिन अपने गांव से लगाव तब भी कम नहीं हुआ।
बेटियों के चुनाव के लिए उन्होंने हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य गोपाल चौहान की मदद ली। प्राचार्य से ही कहा कि वे ऐसी बेटियों की सूची उन्हें दे दें जो पढ़ने में अव्वल हों पर आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण भविष्य में उनकी पढ़ाई पर संकट आने की आशंका हो।
9वीं-10वीं की छात्राएं
प्राचार्य चौहान ने गांव के लोगों की मदद से सूची तैयार की। बेटियों से पूछा गया कि उन्हें कोई आपत्ति तो नहीं, फिर उनके अभिभावकों से भी चर्चा की गई। ये बेटियां ढिकवा के हायर सेकंडरी स्कूल में 9 एवं 10वीं में पढ़ती हैं। अब ये बेटियां अपनी पढ़ाई पर होने वाले खर्च की चिंता और उनके अभिभावक शादी में होने वाले खर्च से मुक्त हैं।
जरूरतमंदों की मदद करना हर सक्षम का काम
कैलाश नेहरा कहते हैं- “मैं भी गांव से ही निकला हूं। मुझे पता कि पढ़ाई में कितना खर्च होता है और मां बाप कैसे जुटाते हैं। पैसों की कमी के कारण कई लड़कियां आगे पढ़ भी नहीं पाती हैं। ऐसे में जो सक्षम हैं उन्हें दूसरों की मदद करना चाहिए, ताकि ऐसे बच्चे जो भविष्य में कुछ करना चाहते हैं वे अपना लक्ष्य पा सकें।”
पंचायत आजीवन उनकी ऋणी रहेगी
ढिकवा के उपसरपंच छगन जाट ने कहा, “नेहरा परिवार के इस कदम से गांव की लड़कियों को बढ़ावा मिलेगा और उन्हें पढ़ाई में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। इसके लिए गांव के साथ ही पंचायत उनकी हमेशा ऋणी रहेगी।