दुनिया में प्लास्टिक का जितना उत्पादन (Plastic Production) होता है, उसमें से आधा सिर्फ एक बार इस्तेमाल कर फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक का है. वन टाइम यूज़ प्लास्टिक पर कल यानी 2 अक्टूबर से बैन लगने जा रहा है. कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, तमिल नाडु, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में इस तरह के प्लास्टिक पर पहले ही लगाम कस चुकी है. क्या हैं वे आइटम जिनका घरों में धड़ल्ले से इस्तेमाल होता रहा है और जिनपर अब बैन लगने जा रहा है. (सभी तस्वीरें- प्रतीकात्मक)
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हम कई ऐसे प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग करते हैं जो एक बार के बाद किसी काम के नहीं रह जाते. इन्हें सिंगल यूज या डिस्पोजेबल प्लास्टिक कहते हैं. प्लास्टिक बैग, बोतलें, स्ट्रॉ, प्लास्टिक कप, प्लेट्स, खाने की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक, चाय-कॉफी के कप और गिफ्ट रैपर शामिल हैं. ई-कॉमर्स कंपनियां सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग में काफी आगे हैं. हालांकि कई बड़ी कंपनियां अब प्रोडक्ट की पैकिंग में इसका इस्तेमाल कम कर रही हैं.
सिंगल यूज प्लास्टिक का विरोध दुनियाभर में हो रहा है. पर्यावरण को नुकसान में इसका बड़ा हाथ है क्योंकि केवल 10 से 13 फीसदी तक प्लास्टिक ही री-साइकिल हो पाता है. यही कारण है कि यूरोपियन यूनियन ने साल 2021 तक सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह से बंद करने की मुहिम चला रखी है, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिलने लगी है.
इसी तर्ज पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की बात कही. माना जा रहा है कि 2 अक्टूबर से 6 तरह के आइटम बैन हो सकते हैं जिससे प्लास्टिक के इस्तेमाल में सालाना लगभग 10% तक कमी आएगी. हालांकि सरकार इन सामानों के बैन पर किसी तरह के फाइन या सजा से पहले 6 महीने का वक्त देगी ताकि लोग विकल्पों की व्यवस्था कर सकें.
प्लास्टिक कैरी बैग- कुछ सालों पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्लास्टिक बैग का इतनी तेजी से इस्तेमाल आने वाली पीढ़ियों के लिए परमाणु बम जैसे खतरे का काम कर रहा है. पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनजर ये बात कही गई थी. ये बैग नॉन बायोडिग्रेडेबल हैं यानी नेचुरल तरीके से गलते नहीं हैं. ऐसे में एक प्लास्टिक बैग को पूरी तरह से खत्म होने में लगभग 1000 साल लग जाते हैं. कुदरत, इंसानी सेहत और पशुओं के लिए भी जानलेवा साबित हो रहे प्लास्टिक बैग्स पर बैन लगने जा रहा है.
प्लास्टिक कप- ये भी इसी श्रेणी में हैं. जूस से लेकर चाय-कॉफी पीने के लिए रेस्त्रां या स्ट्रीट वेंडर इसी कप का इस्तेमाल करते हैं. यहां तक कि घरों में किसी बड़े आयोजन के दौरान भी प्लास्टिक कपों का इस्तेमाल आम है. ये इंसानी सेहत के लिए ठीक नहीं. असल में इन कपों पर एक तरह की वैक्स होती है, जो इन्हें गर्मी या बेहद ठंड से बचाती है. चाय-कॉफी डालने पर इस वैक्स में पाया जाने वाला पॉलीस्ट्रीम नामक रसायन पेय में चला जाता है और फिर हमारे शरीर में. ये सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है. साथ ही पर्यावरण के लिए भी ये ठीक नहीं.
प्लास्टिक प्लेट्स, सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलें स्ट्रॉ और रेस्त्रां में खाने के साथ मिलने वाले सॉस, काली मिर्च इत्यादि के प्लास्टिक सैशे भी बैन के दायरे में हैं. ये तमाम चीजें सिंगल यूज प्लास्टिक कहलाती हैं. हालांकि किसी भी तरह से प्लास्टिक इंड्रस्टी के जुड़े लोग सिंगल यूज को अलग तरह से समझाते हैं. 50 माइक्रोन से मोटी और 20 प्रतिशत तक रीसाइकिल हो सकने वाली चीजें को वे सिंगल यूज नहीं मानते.
प्लास्टिक बैन का कई इंडस्ट्रीज पर असर पड़ने जा रहा है. इसमें FMCG कंपनियां यानी Fast Moving Consumer Goods, एयर कंडीशनर, फ्रिज, कंज्यूमर अप्लायंसेज, ई-कॉमर्स, रेस्त्रां, होटलों पर बड़ी मार पड़ सकती है क्योंकि इन जगहों पर भारी मात्रा में प्लास्टिक यूज होता है. इसके अलावा छोटी रिटेल दुकानों और राशन दुकानों पर भी इसका असर पड़ सकता है.