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छत्तीसगढ़ : सड़क पर रोज बेमौत मारे जा रहे मवेशी, प्रदेश में तीन महीने में 300 की गई जान

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कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी योजना की चर्चा प्रदेश भर में है। गावों में यह योजना युद्धस्तर पर लागू की जा रही है। गोठानों को ‘गरुवा’ कार्यक्रम के तहत बेहतर रूप से विकसित किया जा रहा है। लेकिन शहरों में इसके ठीक विपरीत स्थिति देखने को मिल रही है। सड़कों पर मवेशियों का कब्जा होने की वजह से लगातार दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।

रायपुर समेत प्रदेश भर की हाइवे, रिंग रोड हर रोज मवेशियों के खून से लाल हो रही हैं। आकंड़े काफी चौंकाने वाले हैं। पिछले तीन महीने में सड़क दुर्घटना में 300 से ज्यादा मवेशियों की मौत हुई है। बुधवार की सुबह फिर धरसींवा के सिलतरा स्थित सारडा एनर्जी गेट नंबर दो के सामने अज्ञात वाहन सड़क पर बैठे मवेशियों को रौंदते हुए निकल लगया। मौके पर ही आठ मवेशियों की मौत हो गई, जबकि दो घायल हैं।

हादसों की तरफ न तो निगम प्रशासन का ध्यान है और न ही जिम्मेदार अधिकारी रोकने की कोशिश कर रहे हैं। बारिश के दौरान जानवरों को मच्छर अधिक काटते हैं। इनसे बचने के लिए जानवर सड़कों पर बैठ जाते हैं जब पास से वाहन गुजरता है तो गुजरने वाले वाहन की हवा से मच्छर उड़ जाते हैं इस कारण बड़ी संख्या में बेसहारा मवेशी सड़कों पर बैठ जाते है। राजधानी रायपुर समेत महासमुंद, गरियाबंद, बलौदाबाजार, दुर्ग, बेमेतरा, धमतरी, राजनांदगांव, कवर्धा, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर आदि जिलों में पिछले एक महीने के भीतर हाइवे व रिंग रोड पर सौ से अधिक मवेशियों की मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक इन दुर्घटनाओं को अंजाम देने वाले की भी जानकारी नहीं है, क्योंकि ज्यादातर घटनाएं रात के में सड़क पर दौड़ने वाले भारी मालवाहक वाहनों से हुई है।

धरसींवा रोड पर ज्यादातर हादसे

कुछ दिन पहले राजधानी से लगे धरसींवा रोड पर कार पलटने से आठ गायों की मौत हुई है। कार का ड्राइवर नशे में था, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ था। बुधवार की सुबह फिर आठ मवेशियों की मौत से लोगों में आक्रोश है। रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर धरसींवा के आसपास ज्यादातर हादसे हो रहे हैं। बिलासपुर में मवेशियों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने वहां की ट्रैफिक पुलिस ने सड़कों पर बैठने वाले मवेशियों की सींगों में रेडियम लगाना शुरू किया है, ताकि रात में होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके। इसका असर भी हुआ है। इसी तरह बालोद जिले में आरबीएस बस के चालक ने सड़क पर बैठी गाय पर ही चढ़ा दी थी। इस दुर्घटना के बाद पशु चिकित्सालय में सूचना देने के बाद भी मौके पर कोई नहीं पहुंचा। तब स्थानीय युवकों ने घायल गाय को अस्पताल पहुंचाया।

निगम चलाए अभियान

वाहन चालकों पर नजर रखने ट्रैफिक पुलिसकर्मी व सीसीटीवी कैमरे तक हैं, लेकिन आम लोगों के लिए खतरा बन रहे मवेशियों को सड़कों से हटाने की कोई योजना नहीं है। हालांकि निगम के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि रोज अवारा मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता हर समय सड़क पर बैठे मवेशियों को देखकर समझा जा सकता है।

पशु मालिकों पर सख्ती जरूरी

शहर की सड़कों पर लावारिस पशुओं को छोड़ने पर सख्ती होने से ही हादसे को रोका जा सकता है। शहर के आसपास के गांवों के लोग भी अपने पालतू पशुओं को खुले में छोड़ देते हैं। इससे सुबह से रात भर वाहन चालकों के लिए जान का खतरा रहता है। बारिश के मौसम में सैकड़ों की संख्या में आवारा पशु सड़कों पर डेरा डाल देते हैं, जिसकी वजह से आवागमन बाधित होने के साथ दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। आए दिन वाहन चालक पशुओं को बचाने के चक्कर में घायल हो रहे हैं।

राजधानी की हर सड़क पर कब्जा

राजधानी रायपुर की हर सड़क पर मवेशियों का कब्जा हो गया है। रिंग रोड नंबर एक, दो और तीन के साथ सेजबहार रोड, देवपुरी रोड, राजेंद्र नगर रोड, शंकर नगर, पंडरी, कालीबाड़ी, जीई रोड, गुढ़ियारी खमतराई, धमतरी रोड, विधान सभा रोड, नया रायपुर रोड आदि पर मवेशियों की तादाद बढ़ती जा रही है। इसके कारण सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं। निगम ने जोन स्तर पर मवेशियों का सर्वे कराया था। सभी आठों जोन के अंतर्गत 70 वार्डों में करीब चार हजार मवेशी हैं। इनमें 45 प्रतिशत मवेशियों के मालिक हैं और शेष 55 प्रतिशत मवेशी आवारा घूमते हैं।