केंद्र की एनडीए सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में कई बदलाव करने जा रही है। इसमें सबसे अहम ये है कि बीमा लेना है या नहीं इसका फैसला पूरी तरह से किसान पर छोड़ा जाएगा। फसल बीमा को वैकल्पिक बनाने के अलावा ऊंचे प्रीमियम वाली फसलों को योजना से बाहर करना और राज्यों को उनकी पसंद के उत्पाद जोड़ने की अनुमति देना शामिल है।राज्य सरकारों से मांगे गए सुझाव
राज्य सरकारों से मांगे गए सुझाव
किसानों के लिए फसल बीमा को स्वैच्छिक बनाने का फैसला राहत की खबर होगी। फिलहालबीमा योजना के तहत किसानों का नामांकन अनिवार्य है। सरकारी अधिकारी ने बताया है कि पीएमएफबीवाई क्रियान्वयन के सातवें सत्र में है। क्रियान्वयन के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। मंत्रालय ने इन खामियों की पहचान कर कई बदलावों का प्रस्ताव किया है। इस पर राज्य सरकारों से विचार मांगे गए हैं।
स्टेट लेवल कॉर्पस फंड स्थापित करने का भी प्रस्ताव
कृषि मंत्रालय ने ‘स्टेट लेवल कॉर्पस फंड’ स्थापित करने और राष्ट्रीय स्तर के इंश्योरेंस रिस्क पूल में स्थानांतरित करने का भी प्रस्ताव है। इसके अलावा प्रीमियम की अधिकतम सीमा के तहत किसी फसल के लिए सींचित क्षेत्र अगर 50 फीसद से अधिक होगा, तो अधिकतम प्रीमियम 25 फीसदी होगा। किसी फसल के लिए सींचित क्षेत्र यदि 50 फीसदी से कम होगा, तो उस फसल के लिए अधिकतम प्रीमियम 30 फीसदी तय करने का प्रस्ताव है।
पीएमएफबीवाई योजना की शुरुआत अप्रैल, 2016 में की गई थी। इसका मकसद किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई करना है।
कृषि मंत्री ने कहा, योजना को बेहतर करना चाहते हैं
कृषि मंत्री ने कहा, योजना को बेहतर करना चाहते हैं
बुधवार को केंद्रीय कृष मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ससंद में एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सरकार ज्यादा फायदेमंद और किसानों के लिए उपयोगी बनाने में जुटी हुई है। उन्होंने सांसदों से कहा कि वे पांच दिनों के भीतर अपनी सलाह दें, ताकि बीमा योजना को बेहतर बनाने में मदद मिल सके।