डोंगरगढ़ | संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के शिष्य 108 मुनि श्री आगम सागर जी, 108 मुनि श्री पुनीत सागर महाराज जी एवं 105 एलक श्री धैर्य सागर जी महाराज जी कि मंगल अगवानी 30 जून 2024 को गाजे – बाजे के साथ रिम – झिम बारिश के बीच डोंगरगढ़ में प्रातः 8 बजे हुई| तत्पश्चात आदिनाथ भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, आरती, आचार्य श्री कि संगीतमय पूजन हुई| आज मुनि संघ को श्री दिगम्बर जैन समाज डोंगरगढ़ के द्वारा चातुर्मास हेतु श्रीफल चढ़ाकर निवेदन किया गया | आज महाराज जी ससंघ कि आहार चर्या डोंगरगढ़ में हुई |
108 मुनि श्री पुनीत सागर महाराज जी ने कहा कि आज से लगभग 12 वर्ष पूर्व उन्होंने गुरु आज्ञा से 3 महाराजों का विहार चंद्रगिरी डोंगरगढ़ से महाराष्ट्र कि ओर हुआ था फिर उसके बाद मध्यप्रदेश आदि प्रान्तों का भ्रमण करके आज पुनः डोंगरगढ़ पधारे हैं | गुरु जी का सानिध्य हमें अल्प समय ही मिला | जब उनके अस्वस्थ्य होने कि खबर मिली तो हम लोगो ने चंद्रगिरी कि ओर विहार किया और जब सागर से दो गाँव पहले पहुंचे तो उनकी समाधी कि सूचना मिली जिसे सुनकर मन व्यथित हुआ आँखें द्रवित हो गयी और ऐसा लगा जैसे मै अनाथ हो गया हूँ | इस खबर को सुनकर विश्व के हर एक व्यक्ति कि आँखे द्रवित हुई होगी | ऐसी पवित्र आत्मा हमारे बीच नहीं रही उन्होंने उत्तम संलेखना कर अपना कल्याण किया अब हमें भी उनकी तरह ही उत्तम संलेखना करना है | 108 आचार्य श्री समय सागर महाराज जी उनके जैसे ही दिखते है, उनके जैसे ही चलते हैं और उनके जैसे ही रहते हैं | आज ही के दिन 30 जून को अजमेर में विद्याधर ने मुनि दीक्षा धारण कर विद्यासागर बने थे | उन्होंने जैसे ही अपने कपडे उतारना शुरू किया तो तीव्र वर्षा होना प्रारंभ हो गयी | वर्षा केवल उस नसिया के प्रांगण में ही हुई आस पास कही नहीं हुई जैसे वह वर्षा देवों ने कि हो | तिथि के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पंचमी 11 जुलाई 2024 को यह दिन चंद्रगिरी में समाधी उपरांत यह पहला बड़ा कार्यक्रम 8 वर्ष से 16 वर्ष के बच्चों का उपनयन संस्कार होगा | जिसमे उनको जीवन में कैसे चलना चाहिये, धर्म का क्या महत्त्व है आदि महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी | उनको चांदी का ब्रासलेट दिया जायेगा जिसे वह अपने कलाई पर हमेशा पहनेंगे और जब भी कभी पाप कार्य करने कि सोचेंगे तो उनको यह ब्रासलेट याद दिलायेगा कि यह कार्य गलत है इसे नहीं करना चाहिये और हमेशा सद्कार्य करने कि प्रेरणा देगा | ऐसा ही उपनयन संस्कार कार्यक्रम आचार्य श्री के सानिध्य में 2 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के सिरपुर में हुआ था जहाँ उन्होंने स्वयं बच्चों के सर पर स्वस्तिक बनाकर किया था | महाराष्ट्र में एक परंपरा है जिसमे इस संस्कार के बाद बच्चे अपनी झोली फैलाकर उपस्थित लोगो के पास जाकर कहते हैं भिक्षामी देहि और उपस्थित लोग उनको इक्षानुसार पैसे, मिठाई आदि देकर उनका उत्साह वर्धन करते हैं | डोंगरगढ़ वालों का सौभाग्य है कि 2011 से लगातार अंतिम समय तक गुरु का सानिध्य आप लोगो को मिला | जिस प्रकार गुरु के चरणों में आने से सब दुःख – दर्द दूर हो जाता था ऐसे ही उनकी समाधी स्थल में अच्छे मन से, अच्छे भाव से जाने से सब दुःख – दर्द दूर हो जायेगा और सभी मनोकामना भी पूर्ण होगी |
108 मुनि श्री आगम सागर महाराज जी ने कहा कि हम डोंगरगढ़ 12 वर्ष बाद आये है परन्तु ऐसा लग रहा है कि कुछ दिन ही हुए है | डोंगरगढ़ कि कुछ महिलाये अपने धार्मिक कर्त्तव्यों का भली – भांति निर्वहन कर रही हैं जबकि पुरुष वर्ग में इसकी कमी है | उन्हें भी अपने धार्मिक कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिये | जहाँ धर्म का ह्रास हो वहाँ साधू का बोलना आवश्यक होता है | यहाँ से लगभग 8 किलोमीटर दूर कल आहार चर्या हुई मैंने देखा कि वहां केवल एक पुरुष था और बाकि महिलायें थी | इस बात का मुझे बहुत दुःख हुआ, दुःख मुझे इस बात का नहीं हुआ कि आप नहीं आये, दुःख इस बात का हुआ कि वहाँ के लोग क्या सोच रहे होंगे कि यहाँ इनकी क्या वैल्यू है | मुझे पता है कि मेरे कर्म के अनुसार ही मुझे लोग मिलेंगे | यह सम्पूर्ण समाज का कर्त्तव्य होता है कि जब भी साधू आपके नगर में आये तो उसे लेने जाना और जाये तो उसे छोड़ने जाना चाहिये | आपको मेरी इस बात का बुरा लगना चाहिये | जिससे जब कभी कोई और साधू आये तो आपको मेरी बात याद रहे जिससे आपको अपने कर्त्तव्य का भान रहे | महाराष्ट्र में एक गाँव में हम लोग गए तो वहाँ के लोग खेती – किसानी कर अपना जीवन यापन करते थे | उन्होंने अपनी व्यथा, दुःख – दर्द सुनाया तो हमने उन्हें कहा कि गुरु जी के पास जाओ उनके आशीर्वाद से सब ठीक हो जायेगा | वे लोग इतनी दूर तो नहीं आ पाए तो हमने उनसे कहा कि यहाँ संयम कीर्ति स्तम्भ बनाकर प्रतिदिन दीपक लगाना और उसकी परिक्रमा देना | संयम कीर्ति स्तम्भ निर्माण के पहले जमीन के नीचे पत्थरों पर कुछ मन्त्र लिखे जाते हैं जिससे वहाँ अच्छे भाव से आने वाले लोगो का दुःख – दर्द दूर होता है और सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है | वहाँ के लोगो ने भले ही गुरु का प्रत्यक्ष दर्शन नहीं किया लेकिन उनके परोक्ष दर्शन के लिये पैसे जमा कर संयम कीर्ति स्तम्भ बनाकर अपना जीवन सफल कर लिया और आज उनकी स्थिति बहुत अच्छी हो गयी है वे काफी समृद्ध हो गए हैं | गुरु का नाम लेने मात्र से वरदान मिलता है उनका सानिध्य आपको 12 वर्षों तक मिला है | यहाँ के लोगो ने जो अपना तन, मन और धन दिया है चंद्रगिरी निर्माण में तो उनकी वृद्धि अवश्य होगी | जब से मैंने उनके चरणों में अपना सर झुकाया है और उन्होंने अपना हाथ मेरे सर पर रखा है तब से लोग मुझे पहचानने लगे हैं | डोंगरगढ़ द्वार है चंद्रगिरी महातीर्थ का यहाँ मंगलाचरण अच्छे से होना चाहिये | इंसान कि नाक ठीक न हो तो 6 फीट का शरीर भी अच्छे से काम नहीं करता है और वह परेशान हो जाता है | जो गंजे को कंघी बेच दे वही अच्छा व्यापारी है क्योंकि बाल वाले को तो कोई भी बेच सकता है | यहाँ के लोगो को धर्म में लगाना भी साधू का कर्त्तव्य है जिसके लिये यदि मुझे यहाँ चातुर्मास भी करना पड़े तो मैं करूँगा | आने वाले युगों – युगों तक साधू, श्रावक यहाँ दर्शनार्थ आयेंगे जिनकी यथाव्यवस्था आप लोगो को करना अति आवश्यक है | शिखर जी के पास एक ईसरी नाम का गाँव है जहाँ जैन समाज है वहाँ उनके रिश्तेदार दूर – दूर से आते हैं शिखर जी कि वंदना करने और जबकि वहीँ के लोग शिखर जी नहीं जाते | उनको शिखर जी कि वैल्यू का पता नहीं है | इस स्थान पर गुरूजी ने उत्तम संलेखना ली यह स्थान महातीर्थ हो गया है इसकी वैल्यू को आप समझें | महाराज जी द्वारा 8 से 16 वर्ष के बच्चों का उपनयन संस्कार श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र में दिनांक 11/07/2024 को होगा |